लोकसभा चुनाव 2024 (MP Lok Sabha 2024 News) का काउंटडाउन शुरू हो गया है। प्रत्याशियों के पास प्रचार के लिए 36 घंटे शेष हैं। इस दौरान रैली, रोड शो, सभा के जरिए आखिरी जोर लगाएंगे। शहर में लाउडस्पीकर का शोरगुल तेज हो गया है। भाजपा व कांग्रेस की स्थिति देखी जाए तो दोनों ने अलग-अलग रणनीति पर काम किया है। कांग्रेस का फोकस ग्रामीण क्षेत्र में अधिक है। कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय जितने भी नेता आए हैं, उनकी सभाएं गांव में हुई हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में चुनावी माहौल गर्म है। सोशल मीडिया पर भी पुराने वीडियो वायरल कर चुनावी माहौल को गर्म किया गया है। ग्रामीण क्षेत्र की पांच विधानसभाओं में मतदाता भी काफी हैं, और मतदान प्रतिशत भी अच्छा रहने की उम्मीद है। कांग्रेस ने प्रचार में राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को भी मैदान में उतार दिया है। उन्होंने शुक्रवार को प्रवीण पाठक के लिए डबरा में सभा ली है।
ग्वालियर संसदीय क्षेत्र में 7 मई को मतदान होना है। 5 मई को शाम 6 बजे चुनाव प्रचार थम जाएगा। उसके बाद लाउड स्पीकर से प्रचार, सभा, रैली नहीं कर सकेंगे। प्रत्याशियों के पास 4 मई को सुबह 6 बजे से पांच मई शाम 6 बजे तक प्रचार के लिए 36 घंटे हैं।
इस दौरान प्रत्याशियों को अपना दम दिखाना होगा। कांग्रेस अभी गांव की ओर है, जबकि भाजपा ने शहर के साथ गांव में अपनी ताकत झोंकी है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ग्रामीण विधानसभाओं में सभा की है। वहीं कांग्रेस की कार्यकारिणी ने शहर का जिम्मा संभाला है, जबकि गांव में प्रत्याशी ने जोर लगाया है।
शहर की बजाए ग्रामीण विधानसभा में मतदाता अधिक
- 2024 के लोकसभा चुनाव में ग्रामीण क्षेत्र की पांच विधानसभाओं में 12 लाख 61 हजार वोटर हैं। 2019 का जो वोटिंग का ट्रेंड है, उसमें ग्रामीण विधानसभा में ज्यादा वोट डले हैं। ग्वालियर शहर की तीन विधानसभा में 8 लाख 92 हजार वोटर हैं।
- 7 मई को गर्मी होने की वजह से मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। क्योंकि प्रथम फेज में जो मतदान हुआ है, उसमें अर्बन क्षेत्र में मतदान कम हुआ है। गर्मी के कारण मतदाता नहीं निकले हैं। शहर में चुनावी माहौल गर्म नहीं दिख रहा है, लोगों के मुद्दे गायब हैं। चुनाव को लेकर जो चर्चाएं होती थीं, वह होती नहीं दिख रही हैं।
- ग्वालियर में बड़े स्टार प्रचारकों की संभाएं नहीं हो सकी हैं। 2019 के चुनाव में दोनों पार्टियां अप्रेल में सभाएं कर चुकी थीं।
ग्वालियर में नहीं हो सकी बड़ी टूट, कार्यकर्ताओं को ही शामिल कर सके
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस में बड़ी टूट हो रही है, लेकिन ग्वालियर में इसका असर नहीं दिखा है। भाजपा अपनी पार्टी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ही शामिल कर सकी है। पूर्व विधायक, विधायक प्रत्याशियों को नहीं तोड़ सकी है।
सोशल मीडिया पर भी वीडियो वायरल
सोशल मीडिया पर भी पुराने वीडियो वायरल हो रहे हैं। ये वीडियो विवादित हैं, पुराने वीडियो वायरल करके प्रत्याशी एक दूसरे के जातीय समीकरण बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। गत दिवस तीन साल पुराने वीडियो को वायरल किया गया, जिसे दूसरे समाज के लोगों ने तेजी से वायरल करते हुए हैशटैग किया है।वीडियो वायरल होने पर सफार्ई भी आई और पुराना वीडियो बताया गया।
प्रत्याशी के चेहरे पर हुआ चुनाव
भाजपा ने मार्च में अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था़, जबकि कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित करने में देर कर दी थी। भाजपा मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस स्थानीय मुद्दे व पांच न्याय गारंटी की बात कर रही है। यहां पूरा चुनाव प्रत्याशियों के चेहरे पर हो गया है। प्रत्याशी की हार जीत का फैसला शहरी क्षेत्र की विधानसभा करेंगी।