रविवार को छठ महापर्व को लेकर घरों की साफ सफाई की गई। भोजन तैयार किया गया। इस दौरान व्रत करने वाले श्रद्धालुओं के लिए चावल का प्रसाद तैयार किया गया।
छठ उत्सव के दूसरे दिन सोमवार को खरना की रस्म होगी। इस दिन से श्रद्धालुओं द्वारा ३६ घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया जाएगा। घरों में रोटी गुड़ से बनी खीर और प्रसाद बनाकर भगवान सूर्य देव की आराधना की जाएगी।
14 को अघ्र्य के साथ होगा समापन
बुधवार को भगवान सूर्य देव को सुबह अघ्र्य दिया जाएगा। पानी में खड़े होकर अघ्र्य दिया जाएगा। आधा शरीर पानी में रहकर सूर्य देव की पूजा क बाद इसके बाद समापन हो जाएगा।
छठ पर्व के दौरान पूजन के लिए बांस या पीपल का सूप, बांस की बनी डलिया, पानी का नारियल, गन्ना, सुथनी, शकरकंद, हल्दी, अदरक, नासपाती, नीबू, शहर, पानी सिंदूर, कपूर, चावल, मिठाइयां व घर में बने पकवान जैस ठेकुआ, खस्ता, पूआ, टोकरी और चावल के लड्डू की आवश्यकता होती है।
भोजपुरी समाज समिति के अध्यक्ष एमएम अंसारी ने बताया कि शहर में बिरला नगर में लाइन नंबर ९, १०, ११, १२ और १३ व पचास क्वार्टर सुभाष नगर, गदाईपुरा, तानसेन नगर, गांधी नगर, गोला का मंदिर, हनुमान नगर, गोवर्धन कॉलोनी, पिंटो पार्क, शिव कॉलोनी, दीनदयाल नगर, आदित्यपुरम, एयरफोर्स कॉलोनी, आनंद नगर, चार शहर का नाका, नाका चंद्रबदनी, १३ और १४ बटालियन, सीपी कॉलोनी, बंशीपुरा, आर्य कॉलोनी, सिटी सेंटर महलगांव, हरिशंकरपुरम आदि में छठ पूजा उत्साह पूर्वक की जाएगी।
छठ महापर्व के दौरान भगवान सूर्य देव की अस्त होने के समय पूजा की जाती है। रात के समय घरों में कोसी भराई की रस्म होगी। इस रस्म में २४ गन्नों के साथ २४ कलश और दीप पूजे जाएंगे। रात्रि जागरण होगा। सप्तमी को उदय होते सूर्य को गाय के दूध से अघ्र्य देने के बाद ३६ घंटों तक उपवास समाप्त होगा।
१३ नवंबर को भगवान सूर्य देव को संध्या काल में अघ्र्य दिया जाएगा। तीसरे दिन सूर्य षष्ठी को निर्जला व्रत रखकर शाम के समय सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा और रात को छठ माता की कथा सुनी जाएगी।