कोई फेल तो किसी को पूर्णांक से ज्यादा नंबर
-बीए प्रथम वर्ष के छात्र प्रदीप जोशी ने रोल नंबर 181241026 के जरिए परीक्षा दी थी। परीक्षा परिणाम में फाउंडेशन-1 और हिंदी साहित्य-1 में छात्र को शून्य मिला है।
-पीजीडीसीए सैकंड सेमेस्टर के छात्र पूनम अस्पल ने रोल नंबर 181082258 के जरिए परीक्षा दी थी। परिणाम बनाने वाली कंपनी ने छात्र को 900 पूर्णांक में से 992 नंबर दे दिए हैं। इसके बाद भी फेल घोषित किया है।
-बीए प्रथम वर्ष की छात्रा रुचि श्रीवास ने रोल नंबर 181159852 के जरिए परीक्षा दी थी। परीक्षा परिणाम में फाउंडेशन कोर्स में 29, हिंदी साहित्य में 50, हिस्ट्री में 46 और मिलिटरी साइंस में 48 नंबर मिले हैं। इस छात्रा की मार्कशीट में अंकों का टोटल ही नहीं लगा है और विदहैल्ड घोषित किया गया है।
-एमए साइकोलॉजी सैकंड सेमेस्टर की छात्रा शिल्पा सिंह तोमर ने रोल नंबर 1810891– के जरिए परीक्षा दी थी। छात्रा के सभी विषय में ठीक नंबर आए, पूर्णांक 500 में से छात्रा को 222 अंक मिले हैं। इसके बाद भी एटीकेटी में डाल दिया गया। छात्रा द्वारा ऑब्जेक्शन करने पर कंपनी की गलती पकड़ में आई और अब पास घोषित किया गया है।
-बीएससी कंप्यूटर साइंस सैकंड ईयर की छात्रा रीना अहिरवार ने रोल नंबर 181035696 के जरिए परीक्षा दी थी, छात्रा के सभी विषयों को मिलाकर पूर्णांक 500 में से 276 नंबर आए हैं। इसके बाद भी छात्रा को कंपनी ने फेल घोषित किया है।
अभी तक नहीं मिला पूरा डाटा
विश्वविद्यालय कार्यपरिषद ने 25 नवंबर को बैठक लेकर रिजल्ट बनाने वाली कंपनी माइक्रो प्रो को 15 दिन मेें सभी मार्कशीट और डाटा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। समय पर डाटा और मार्कशीट न देने पर कंपनी के खिलाफ एफआईआर कराने की अनुशंसा भी की थी। यह समय सीमा आज समाप्त हो रही है और जेयू के अधिकारी अभी तक कंपनी से पूरी जानकारी नहीं ले पाए हैं और न ही कोई कार्रवाई कर पाए हैं।