कई बार दिए कैचमेंट से अतिक्रमण हटाने के आदेश
उच्च न्यायालय द्वारा शहर के गिरते भू-जलस्तर पर वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर प्रस्तुत जनहित याचिका पर 13 मार्च को शहर तथा अंचल के सभी बांधों के कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए थे। स्वर्ण रेखा नदी पर बने हनुमान बांध के कैचमेंट एरिया में 350 पक्के निर्माण प्रशासन द्वारा चिह्नित किए जा चुके हैं। इस आदेश के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और निगम के सहयोग से 15 निर्माण हटाए भी गए, लेकिन फिर कार्रवाई ठंडी पड़ गई। वीरपुर बांध के प्रतिबंधित क्षेत्र में ईंटों के भट्टे लगे हैं और खेती के लिए अतिक्रमण कर लिया गया है। अतिक्रमणकारी इन बांधों को भरने नहीं देते हैं। यही हाल रमौआ बांध का है, यहां भी खेती होने से बांध में पानी टिकने नहीं दिया जाता है। न्यायालय के आदेश के बाद कलेक्टर ने भी इन बांधों को भरने के लिए कई आदेश दिए हैं, लेकिन अधीनस्थ अधिकारी आदेशों का पालन नहीं होने दे रहे हैं। न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं होने से शहर को भविष्य में भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है। चंबल से पानी लाने की वैकल्पिक योजना भी राजनीति के चक्रव्यूह में फंसी है। इस साल अच्छी बारिश होने से तिघरा फुल होने से शहरवासी भले खुश हों, हनुमान बांध, वीरपुर बांध, रमौआ और मामा का बांध अच्छी बारिश के बाद भी इसलिए नहीं भर पाए, क्योंकि इसके लिए समुचित प्रयास नहीं किए गए।
किला तलहटी से भी अवैध निर्माण हटाने के हैं आदेश
उच्च न्यायालय द्वारा किला तलहटी से भी प्रतिबंधित क्षेत्र से अवैध निर्माण हटाने के आदेश पूर्व में दिए जा चुके हैं। इसके पालन में प्रशासन ने कई बार कार्रवाई भी की है।
उच्च न्यायालय द्वारा डीआरडीई, वाटर हार्वेस्टिंग के लिए जल ग्रहण क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का मामला हो या तलघर से व्यावसायिक गतिविधियों को समाप्त कर वहां पार्किंग चालू कराने के लिए दिए गए आदेश हों, अभी तक किसी भी मामले में किसी भी अधिकारी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। अवैध निर्माण होते हैं, कॉलोनियां भी बन जाती हैं, न्यायालय के आदेश पर उनकी तोडफ़ोड भी होती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से न तो अवैध कॉलोनियों का निर्माण रुका है, न ही अवैध निर्माण बंद हुए हैं।