scriptअफसरों पर कोर्ट के आदेशों का भी असर नहीं, अवैध कब्जे और निर्माण हो रहे धड़ल्ले से | Court orders also have no effect on officers | Patrika News
ग्वालियर

अफसरों पर कोर्ट के आदेशों का भी असर नहीं, अवैध कब्जे और निर्माण हो रहे धड़ल्ले से

उच्च न्यायालय द्वारा जनहित को ध्यान में रखकर समय-समय पर दिए जाने वाले आदेशों पर प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं हैं। न तो बांधों से अतिक्रमण हट सके हैं, न ही अवैध कॉलोनियों का निर्माण रुका है। उच्च न्यायालय द्वारा आदेश देने के कुछ दिन कार्रवाई चलती है फिर ठप हो जाती है। जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से हालातों में कोई बदलाव नहीं हो रहा है।

ग्वालियरOct 08, 2019 / 01:16 am

रिज़वान खान

court news

अफसरों पर कोर्ट के आदेशों का भी असर नहीं, अवैध कब्जे और निर्माण हो रहे धड़ल्ले से

ग्वालियर. उच्च न्यायालय द्वारा जनहित को ध्यान में रखकर समय-समय पर दिए जाने वाले आदेशों पर प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी गंभीर नहीं हैं। न तो बांधों से अतिक्रमण हट सके हैं, न ही अवैध कॉलोनियों का निर्माण रुका है। उच्च न्यायालय द्वारा आदेश देने के कुछ दिन कार्रवाई चलती है फिर ठप हो जाती है। जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से हालातों में कोई बदलाव नहीं हो रहा है।

कई बार दिए कैचमेंट से अतिक्रमण हटाने के आदेश
उच्च न्यायालय द्वारा शहर के गिरते भू-जलस्तर पर वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर प्रस्तुत जनहित याचिका पर 13 मार्च को शहर तथा अंचल के सभी बांधों के कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए गए थे। स्वर्ण रेखा नदी पर बने हनुमान बांध के कैचमेंट एरिया में 350 पक्के निर्माण प्रशासन द्वारा चिह्नित किए जा चुके हैं। इस आदेश के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और निगम के सहयोग से 15 निर्माण हटाए भी गए, लेकिन फिर कार्रवाई ठंडी पड़ गई। वीरपुर बांध के प्रतिबंधित क्षेत्र में ईंटों के भट्टे लगे हैं और खेती के लिए अतिक्रमण कर लिया गया है। अतिक्रमणकारी इन बांधों को भरने नहीं देते हैं। यही हाल रमौआ बांध का है, यहां भी खेती होने से बांध में पानी टिकने नहीं दिया जाता है। न्यायालय के आदेश के बाद कलेक्टर ने भी इन बांधों को भरने के लिए कई आदेश दिए हैं, लेकिन अधीनस्थ अधिकारी आदेशों का पालन नहीं होने दे रहे हैं। न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं होने से शहर को भविष्य में भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है। चंबल से पानी लाने की वैकल्पिक योजना भी राजनीति के चक्रव्यूह में फंसी है। इस साल अच्छी बारिश होने से तिघरा फुल होने से शहरवासी भले खुश हों, हनुमान बांध, वीरपुर बांध, रमौआ और मामा का बांध अच्छी बारिश के बाद भी इसलिए नहीं भर पाए, क्योंकि इसके लिए समुचित प्रयास नहीं किए गए।
निगम मुख्यालय सहित कई भवन दायरे में

उच्च न्यायालय ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीई) के प्रतिबंधित क्षेत्र में सभी निर्माणों को 28 मार्च को हटाने के आदेश दिए हैं। इससे प्रतिबंधित क्षेत्र में बने नगर निगम के मुख्यालय सहित 37 शासकीय भवन, 54 निजी भवन जो कि अनुमति लेकर बनाए गए हैं, तथा 51 भवन जो बिना अनुमति के बने हैं, इस दायरे में आ गए हैं। न्यायालय के आदेश से इस क्षेत्र में बनी महाराणा प्रताप नगर कॉलोनी में कुछ मकान तोड़े गए थे। हालांकि यह मामला अब रक्षा मंत्रालय के पाले में पहुंच गया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में ग्वालियर आगमन पर प्रतिबंधित सीमा का दायरा कम करने का आश्वासन दिया है, इससे इस दायरे में आने वाले लोगों ने जरूर राहत की सांस ली है।

किला तलहटी से भी अवैध निर्माण हटाने के हैं आदेश
उच्च न्यायालय द्वारा किला तलहटी से भी प्रतिबंधित क्षेत्र से अवैध निर्माण हटाने के आदेश पूर्व में दिए जा चुके हैं। इसके पालन में प्रशासन ने कई बार कार्रवाई भी की है।
किसी भी मामले में किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया
उच्च न्यायालय द्वारा डीआरडीई, वाटर हार्वेस्टिंग के लिए जल ग्रहण क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का मामला हो या तलघर से व्यावसायिक गतिविधियों को समाप्त कर वहां पार्किंग चालू कराने के लिए दिए गए आदेश हों, अभी तक किसी भी मामले में किसी भी अधिकारी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। अवैध निर्माण होते हैं, कॉलोनियां भी बन जाती हैं, न्यायालय के आदेश पर उनकी तोडफ़ोड भी होती है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से न तो अवैध कॉलोनियों का निर्माण रुका है, न ही अवैध निर्माण बंद हुए हैं।

Home / Gwalior / अफसरों पर कोर्ट के आदेशों का भी असर नहीं, अवैध कब्जे और निर्माण हो रहे धड़ल्ले से

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो