एडवांटा कंपनी द्वारा तैयार किए गए हाइब्रिड सरसों के बीज (कोरल 432) की सप्लाई एनएससी (नेशनल सीड कॉरपोरेशन) द्वारा की गई थी। कृषि विभाग के माध्यम से यह बीज किसानों तक पहुंचाया गया। जिले के प्रत्येक ब्लॉक में दो हजार से अधिक किसानों को यह बीज उपलब्ध कराया गया। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक ही जिले में 14 हजार किसानों ने अपने खेतों में इसे बोया। दावा किया गया था कि यह बीज बेेहतर उत्पादन देगा। लेकिन हुआ यह कि कोरल 432 ब्रांड के बीज से प्रति बीघा महज एक क्विंटल सरसों पैदा हुई है। कहीं-कहीं तो इसकी मात्रा और भी कम है। जबकि आमतौर पर एक बीघा में 4-5 क्विंटल सरसों उत्पादन होता है।
किसानों के मुताबिक सरसों का दाना भी सामान्य नहीं है। इसका रंग, साइज और गुणवत्ता निम्न स्तर की है। ऐसे में बाजार में इसकी पर्याप्त कीमत मिलने की संभावना भी नहीं है। सरकारी बीज से उत्पादन घटने की शिकायत किसानों द्वारा की जाने लगी है। फिलहाल मुरैना व पोरसा विकासखण्ड में अधिकारियों को शिकायती आवेदन दिए गए हैं। इसके अलावा कुछ किसान मंगलवार को कलेक्टर से मिलने की तैयारी भी कर चुके हैं।
नहीं निकलेगा लागत खर्च भी
सरसों का सरकारी बीज बोने वाले किसानों को इस बात की चिंता है कि इस साल उनका लागत खर्च भी नहीं निकलेगा। दरअसल खेतों में बुआई से लेकर खाद देने, सिंचाई करने और फिर फसल की कटाई पर किसानों ने बड़ी रकम खर्च की है। लेकिन जो उत्पादन हुआ है, वह अत्यंत कम है। किसानों का कहना है कि इससे तो ओले पड़ जाते तो कम से कम मुआवजा ही मिल जाता। अब तो कोई उम्मीद ही नजर नहीं आ रही है। वे सोच नहीं पा रहे हैं कि करें तो क्या करें।
बांटा गया था 54 लाख का बीज
अकेले मुरैना जिले में ही किसानों को सरकारी स्तर से 54 लाख रुपए का बीज बांटा गया था। बताया गया है कि कोरल 432 ब्रांड के बीज का वितरण राष्ट्रीय तिलहन विकास योजना के तहत किया गया था। सिर्फ मुरैना ही नहीं, बल्कि प्रदेश के कई जिलों में यह बीज किसानों को यह कहकर उपलब्ध कराया गया कि इससे सरसों का बेहतर उत्पादन होगा। चूंकि उत्पादन गिरा है तो कुछ किसानों ने इसके खिलाफ उपभोक्ता फोरम में जाने का निर्णय लिया है।
फील्ड में नहीं जा पा रहे आरएईओ
हाइब्रिड बीज के नाम पर किसानों के साथ धोखा होने के बाद ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी भी परेशान हैं।वजह है कि जब वे फील्ड में जाते हैं तो किसान उन्हें उलाहना दे रहे हैं। वे आरएईओ से पूछ रहे हैं कि उन्हें हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा। आरएईओ किसानों के सवाल का जवाब भी नहीं दे पा रहे हैं। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों का भी कहना है कि इस वजह से उनकी गुडविल भी खराब हुई है। इस समय वे किसानों से बात करने की स्थिति में नहीं हैं।
हमने पांच-छह बीघा में सरसों बोई थी लेकिन उत्पादन दो क्विंटल भी नहीं हो रहा है। हल्की सरसों होने से उसकी पीना और तेल भी नहीं मिलेगा। गांव में आधा दर्जन किसान इस ठगी का शिकार हुए हैं।
रामवीर सिंह तोमर, किसान ग्राम छत्तरपुरा पोरसा
बीज का टेस्ट किया गया था, शत-प्रतिशत अंकुरण हुआ था। बोवनी के बाद खेतों में भी अच्छी फसल उगी थी, हमने स्वयं कई जगह जाकर देखा था। लेकिन अब किसान उत्पादन नहीं होने की बात कह रहे हैं। अब वैज्ञानिकों से चर्चा की जाएगी। वे ही इसका असल कारण बता पाएंगे।
अभिमन्यु पांडे, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी
कोरल 432 ब्रांड के बीज से उत्पादन प्रभावित होने की शिकायत मिली है। हमने इस मामले की जांच के लिए समिति गठित कर दी है। जो रिपोर्टआएगी, उसे विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजेंगे।
पीसी पटेल, उपसंचालक कृषि एवं किसान कल्याण
खेत में खड़ी सरसों की कमजोर फसल।
अक्टूबर माह में कृषि विभाग ने हाइब्रिड बताकर सरसों का बीज दिया था। हमने 10 बीघा खेत में इसे बोया। महज एक क्विंटल प्रति बीघा के हिसाब से उत्पादन हुआ है। इससे तो खेती की लागत भी नहीं निकलेगी।
गिर्राज सिंह, कृषक, मीरपुर
हमने भी 10 बीघा में कोरल 432 ब्रांड का सरसों बीज बोया था। इससे न सिर्फ उत्पादन न के बराबर हुआ है, बल्कि सरसों की गुणवत्ता भी घटिया है। हजारों किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। समझ नहीं आ रहा क्या करें।
कुंअरपाल सिंह, कृषक, मीरपुर