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ग्वालियर

दुकानें शुरु नहीं हो पाई,जीडीए देखरेख पर हर महीने खर्च कर रहा चार लाख

इतना ही नहीं हर फ्लोर पर गार्ड के साथ साफ- सफाई के लिए कई कर्मचारियों को तैनात किया गया।

ग्वालियरJan 20, 2020 / 09:01 pm

Neeraj Chaturvedi

दुकानें शुरु नहीं हो पाई,जीडीए देखरेख पर हर महीने खर्च कर रहा चार लाख

दुकानें शुरु नहीं हो पाई,जीडीए देखरेख पर हर महीने खर्च कर रहा चार लाख

माधव प्लाजा में ५८७ दुकानों में से सिर्फ पन्द्रह की हुई है रजिस्ट्री
– बंद दुकानों की देखरेख के साथ बिजली बिल, सिक्योरिटी पर हो रहा है खर्च
ग्वालियर. जीडीए ने शहर के व्यापारियों को बसाने के लिए शानदार सपने दिखाकर माधव प्लाजा में बसाने की योजना बनाई। यहां व्यपारियों को लुभावने लिए कई सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च करके पूरे कैम्पस को वातानुकूलित बनाने के साथ दो एस्केलेटर लिफ्ट लगाई। इतना ही नहीं हर फ्लोर पर गार्ड के साथ साफ- सफाई के लिए कई कर्मचारियों को तैनात किया गया। इन सब व्यवस्थाओं पर जीडीए को लाखें रूपए महीने का खर्च भी करना पड़ रहा है। इसकी भरपाई जीडीए अपने खजाने से ही कर रही है। हालात यह है कि माधव प्लाजा की दुकानों में सुबह से शाम तक ताला पड़ा रहता है। जिन व्यापारियों ने यहां दुकानें खरीद ली है। वह अपनी दुकानों को खोलने के लिए तैयार नहीं है। जीडीए का कुल मिलाकर यह प्रोजेक्ट बिल्कुल फैल साबित हो गया है। जीडीए के लिए यह अब सिर्फ सफेद हाथी बनकर रह गया है। जिसमें हर माह जीडीए को लगभग पांच लाख रूपए की चपत लग रही है। माधव प्लाजा में अभी नौ महीने में सिर्फ दस ही रजिस्ट्री हुई है। मई से जीडीए ने रिजस्ट्री शुरु कर दी है। उसके बाद से अब जनवरी तक यहां पर मात्र १० ही लोगों की रजिस्ट्री जीडीए करा पाया है। अभी कुछ दिन पहले ही यहां से रजिस्ट्री कार्यालय भी यहां से चला गया है।
ट्रांसफार्मर, सुरक्षा कर्मचारियों के अन्य खर्च चार लाख के
माधव प्लाजा में आज भी जीडीए अपनी जेब से लगभग चार लाख रूपए खर्च कर रही है। जीडीए का हर माह लगभग एक लाख बिजली का बिल आता है। इसके साथ ही चौबीस घंटे छह- छह लोगों को गार्ड तीन शिफ्ट में काम करता है। सफाई के लिए लगभग छह से ज्यादा कर्मचारी तैनात है। इसके साथ ही बिजली के काम देखने वाले कर्मचारी और जीडीए ने खुद का ट्रांसमीटर लगाया है। उस पर भी तीन कर्मचारी चौबीस घंटे के लिए तैनात रहते है। ऐसे में सभी खर्च मिलाकर जीडीए को लगभग चार लाख रूपए देने पड़ते है। माधव प्लाजा में जीडीए ने हर छोटी बड़ी दुकानें बनाई है। जीडीए की जब दुकानें बिक नहीं सकी तो किराये पर देने के लिए काम करना शुरू किया। जिसमें सबसे कम दुकान की कीमत ५ हजार से अधिकतम ७५ हजार तक की दुकानें खाली पड़ी है।
वातानुकूलित प्लाजा में दो एस्केलेटर और लिफ्ट
जीडीए ने माधव प्लाजा में लोगों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए दो एस्केलेटर और लिफ्ट तो लगाए ही है। इसके साथ पूरा प्लाजा में वातानुकूलित है। इसमें अगर कोई भी दुकानदार अपनी दुकान देखने भी ऊपरी मंजिल पर जाता है तो लिफ्ट और एस्केलेटर का ही सहारा लेता है। इसके साथ ही बिजली कंपनी से जीडीए ने अपने दुकानदारों के लिए ३३ केबी का ट्रांसफॉर्मर लिया है। इसका बिजली कंपनी को कम से कम एक मुश्त बिल तो महीने में जमा ही करना पड़ता है। अब वर्तमान में यहां पर कुल १५ लोगों ने अपनी दुकानों की रजिस्ट्री कराने के बाद आठ दस लोग दुकाने खोलकर अपना काम कर रहे है तो ऐसे में बिजली कंपनी को बाकी का पूरा पैसा जीडीए को ही अपनी जेब से जमा करना पड़ रहा है।
इनका कहना है
माधव प्लाजा की अब तो रजिस्ट्री होने लगी है। व्यापारियों को अपनी – अपनी रजिस्ट्री जल्द से जल्द कराना चाहिए। जिससे दुकानदार अपना व्यवसाय शुरु कर सके। दुकानदारों के न पहुंचने के कारण हमको हर माह माध्व प्लाजा पर बिजली सहित अन्य खर्चो पर लगभग चार लाख रुपए खर्च करना पड़ रहे है।
सुभाष सक्सैना, प्रभारी कार्यपालनयंत्री जीडीए
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