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ग्वालियर

निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के प्रवेश के लिए प्रचार प्रसार नहीं करता शिक्षा विभाग

आरटीई में प्रवेश कब होगा। शिक्षा विभाग के अधिकारी गरीबों के बीच इसके लिए प्रचार प्रसार नहीं करते हैं। यही कारण है कि आरटीई में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी बड़ी तादाद में गरीबों के बच्चे प्रवेश लेने से वंचित रह गए हैं।

ग्वालियरJun 18, 2019 / 07:57 pm

राजेश श्रीवास्तव

rte

निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के प्रवेश के लिए प्रचार प्रसार नहीं करता शिक्षा विभाग

ग्वालियर. शहर में बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं जिन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि आरटीई में प्रवेश कब होगा। शिक्षा विभाग के अधिकारी गरीबों के बीच इसके लिए प्रचार प्रसार नहीं करते हैं। यही कारण है कि आरटीई में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी बड़ी तादाद में गरीबों के बच्चे प्रवेश लेने से वंचित रह गए हैं। ऐसे अभिभावक इन दिनों बीआरसीसी के चक्कर काट रहे हैं, उन्हें अगले साल प्रवेश लेने की बात कही जा रही है। शहर में 1200 से अधिक निजी स्कूलों में 10 हजार से अधिक प्रवेश कराने का लक्ष्य जिला प्रशासन ने तय किया था, जबकि प्रवेश के लिए पंजीयन 6 हजार 800 के करीब ही हुए हैं। जो सीटें खाली हैं उन पर सालभर तक कोई प्रवेश नहीं होगा। इन स्कूलों में प्रवेश दिए जाने के लिए जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और सामाजिक क्षेत्रों में काम करने वाले समाजसेवी संगठनों को गरीबों के बीच प्रचार प्रसार व जागरुकता अभियान चलाने की जरूरत थी। आरटीई में प्रवेश से अति गरीब वर्ग के छात्र वंचित रह जाते हैं। इन छात्रों के अभिभावकों को जानकारी नहीं होती है, इसलिए वे आरटीई के जरिए बच्चों का प्रवेश नहीं करा पाते हैं। ऐसे अभिभावक चाह कर भी निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश दिलाने की प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सके। बीते दिनों आरटीई में आवेदन की अंतिम तारीख निकल गई। इसके बाद भी शहरी क्षेत्र क्रमांक-1 पर हर रोज गरीब अभिभावक आ रहे हैं। कई बार यहां स्टाफ द्वारा उन्हें सही जानकारी नहीं दी जाती है। यहां स्टाफ मनमर्जी से उपस्थित रहता है। इसी तरह शहरी क्षेत्र क्रमांक-2 और बीईओ कार्यालय का हाल है।
सर्वे में खुल चुकी है पोल : बीते दिनों डीपीसी कार्यालय की ओर से जिला स्तर पर सर्वे किया गया था। इसमें घाटीगांव, भितरवार, डबरा, मुरार ग्रामीण, शहरी क्षेत्र क्रमांक-1 और क्रमांक-2 में बड़ी तादाद में ऐसे छात्र निकले थे जो आरटीई से वंचित हैं। ऐसे लोगों को भी मुख्य धारा में लाने का प्रयास नहीं किया गया है। जबकि हकीकत यह है कि जिले में 10 हजार से अधिक गरीब छात्र आरटीई से वंचित हैं। वहीं शिक्षा विभाग के उदासीन रवैये से भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है।
जानकारी नहीं होने से प्रवेश नहीं दिला सका
– मैं अपनी बच्ची को आरटीई में प्रवेश दिलाना चाहता था। मुझे जानकारी थी कि 17 जून से स्कूल खुलेंगे तब ही प्रवेश शुरू होगा। आरटीई में प्रवेश शुरू होने की जानकारी नहीं होने से बिटिया को प्रवेश नहीं दिला सका।
राघवेंद्र सिंह परिहार,अभिभावक
– आरटीई में प्रवेश के लिए बीआरसीसी स्तर पर जानकारी दी जाती है। ऑनलाइन फॉर्म भरते हैं। हर साल इसी तरह से प्रवेश होता है।
संजीव शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी

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