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ग्वालियर

मेला प्राधिकरण की मनमानी से वाहन चालक परेशान

पार्किंग की जगह पर टेंट लगा दिया गया। जब इसको लेकर वाहन स्टैंड ठेकेदार ने विरोध किया तो मेला सचिव ने कहा कि गार्डन का भी ठेका हुआ है और वहां भी आयोजन होगा। ऐसे में वाहन स्टैंड पर वाहन नहीं रखे जा सके।

ग्वालियरFeb 28, 2019 / 07:55 pm

राजेश श्रीवास्तव

gwalior mela

मेला प्राधिकरण ने पार्किंग को बनाया मैरिज गार्डन

ग्वालियर. व्यापार मेला प्राधिकरण अधिकारियों की कार्यप्रणाली के चलते आए दिन मेला सुर्खियों में रहा है। अब नया मामला मेला में वाहन स्टैंड के लिए दी गई पार्किंग को गार्डन में उपयोग करने के लिए दिए जाने का सामने आया है। प्राधिकरण द्वारा वाहन स्टैंड का ठेका देते समय मेला समाप्ति तक पार्किंग को उपयोग करने के लिए कहा गया था। लेकिन मेला समाप्त होने से पहले ही मेला प्राधिकरण ने पार्किंग को मैरिज गार्डन के उपयोग के लिए दे दिया।
सैलानियों को वाहन रखने की परेशानी

मेला में आने वाले सैलानियों को वाहन रखने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ा। इसको लेकर ठेकेदार ने मेला सचिव से शिकायत की तो उन्होंने भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। ठेकेदार की मानें तो बीच में शादियां होने से उसे आर्थिक नुकसान तो उठाना ही पड़ा साथ ही सैलानियों को वाहनों को रखने में दिक्कत का सामना करना पड़ा।
ठेकेदार ने ठेके को स्टैंड से मैरिज गार्डन में बदला

ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण द्वारा कुसमाकर रंगमंच के पास स्थित गार्डन की पार्किंग को मेला अवधि तक वाहन स्टैंड के रूप में ठेका दिया गया था। ठेका 10 लाख रुपए में दिया गया। इसके साथ ही 2 लाख रुपए सुरक्षा निधि के रूप में जमा कराई गई। मेला अवधि 27 दिसंबर तक है लेकिन इससे पहले ही यहां कई शादियां हुईं। जिसमें पार्किंग को गार्डन को दे दिया गया। 26 फरवरी को भी कुछ ऐसा ही हुआ। पार्किंग की जगह पर टेंट लगा दिया गया। जब इसको लेकर वाहन स्टैंड ठेकेदार ने विरोध किया तो मेला सचिव ने कहा कि गार्डन का भी ठेका हुआ है और वहां भी आयोजन होगा। ऐसे में वाहन स्टैंड पर वाहन नहीं रखे जा सके।
नियमों का खुलकर उल्लंघन

ठेकेदार के अनुसार 4 रविवार भी मेला प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया जबकि टेंडर में इस तरह की कोई शर्त नहीं थी। इसको लेकर जब मेला प्राधिकरण अधिकारियों से कहा तो उन्होंने कहा कि वीआइपी कार्यक्रम है इसलिए पार्किंग को उन्होंने ले लिया है। जबकि ठेकेदार के अनुसार टेंडर प्रक्रिया के दौरान इस तरह की किसी भी प्रकार की बात नहीं कही गई थी। इसके साथ ही शादियों को लेकर भी मना किया गया था। लेकिन प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा खुलेआम उल्लंघन किया गया है। जिसके कारण ठेकेदार को भी आर्थिक नुकसान हुआ है।

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