शुक्रवार की शाम को पुलिस कंट्रोल रूम में इस मामले का खुलासा करते हुए एसपी नगेन्द्र सिंह ने पुलिस टीम को 5 हजार रुपए का पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की। इस मौके पर एएसपी पीएल कुर्वे, एसडीओपी रामतिलक मालवीय, टीआई बड़ौदा मनोज झा भी उपस्थित थे।
यहां बता दें कि बड़ौदा के एक निजी स्कूल में पढऩे वाले चार बच्चे निक्की (11) पुत्र सुल्तान मीणा, अमित (14) पुत्र विजय शर्मा, सोनू उर्फ सोनेश (15) पुत्र किशोरीलाल धाकड़, विष्णु (12) पुत्र पूरण शर्मा 16 अक्टूबर को सुबह घर से स्कूल जाने की कहकर निकले थे। इसके बाद लापता हो गए। चारों बच्चों के एक साथ लापता होने पर बड़ौदा थाना पुलिस गंभीर हुई और परिजनों की शिकायत पर अपहरण का मामला दर्ज कर उनकी तलाश शुरू की और शुक्रवार को चारों बच्चों को बरामद कर लिया।
दो दिन में खर्च कर दिए 25 हजार रुपए
निक्की मीणा अपने घर से 18 हजार 500 रुपए तथा अन्य बच्चे भी पैसे ले गए थे। चारो ंबच्चों ने अपनी किताबो को भी पैसो से बेच दिया। बताया गया है कि चारों बच्चों के पास करीब 25 हजार रुपए हो गए। जिनको खर्च करते हुए चारों बच्चे दिल्ली पहुंचे और उन्होंने पहनने के लिए कपड़े आदि भी खरीदे और कामधंधा भी तलाशा। उनको काम नहीं मिला। जब सारे पैसे खर्च हो गए। तब चारों बच्चे दिल्ली स्टेशन पर रात बिताने के बाद वापस सवाईमाधोपुर आ गए।
ऐसे पहुंची पुलिस
चारों बच्चे जब दिल्ली से वापस सवाईमाधोपुर पहुंचे तो उन्होंने एक बच्चे से उसके घर वालों के पास किसी दूसरे के नंबर से फोन लगाकर बताया कि हमको कोई उठाकर ले आया है। यह बात परिजनों ने तत्काल पुलिस को बताई। पुलिस ने बिना कोई देर किए उस नंबर के जरिए बच्चों को लोकेशन पता की और सामरसा चौकी पुलिस सहित राजस्थान पुलिस के सहयोग से चारो बच्चों को सवाईमाधोपुर से बरामद कर लिया।
बिहार जाकर काम-धंधा करने और बड़े होकर लौटने की थी योजना
बड़ौदा टीआई मनोज झा ने बताया कि चारो बच्चे पढ़ाई में कमजोर थे और उनको पढ़ाई बोझ लगने लगी थी। इसलिए चारों बच्चों ने एक दिन पहले चंद्रसागर तालाब पर एक साथ बैठकर योजना बनाई कि अब पढ़ाई होती नहीं है। इसलिए चारों मिलकर बिहार चलते है। वहां जाकर कामधंधा करेंगे और दाढ़ी-मूंछ आने पर लौटेंगे। लेकिन सवाईमाधोपुर पहुंचकर इनको बिहार जाने का रास्ता नहीं मिला। इसके बाद चारों बच्चे दिल्ली पहुंच गए।
भिभावक रहें जागरूक
चारों बच्चे सकुशल मिल गए। ऐसे मामले आगे घटित न हो, इसके लिए जिले के अभिभावकों को जागरूक होकर यह देखने की जरुरत है कि उनके बच्चे क्या कर रहे हंै और स्कूल में क्या पढ़ रहे है। वे मोबाइल का क्या उपयोग कर रहे हैं।
नगेन्द्र सिंह, एसपी,श्योपुर