कैसे मानें कि सरकार और प्रशासन उनका हितैषी है। पुरानी मंडी से किसी को दिक्कत नहीं थी। फिर उन्हें छलावे से खदेड़ा गया। उनके ठिकाने तोड़ दिए। उनसे कहा गया इंटक मंडी में जाने से उनका कारोबार बढ़ेगा, उनका विकास होगा। यह सब थोथी बातें हैं। कारोबार सब बढ़ाना चाहते हैं। इंटक मंडी में अगर धंधा बढ़ता तो वहां जाने से कोई मना नहीं करता। लेकिन मंडी में न तो पर्याप्त जगह है न व्यापारियों को सलीके से जगह दी है इसलिए वह जाना नहीं चाहते।
250 की जगह 350 को बांटी दुकानें
सब्जी व्यापारियों का कहना था पुरानी मंडी में 250 कारोबारी हैं, इंटक मैदान में प्रशासन अभी तक 350 दुकानें बांट चुका है। उनसे कहा जा रहा है नई मंडी में दुकान लगाओ, इससे सबका कारोबार बढ़ेगा। ज्यादा पैसा कमाओगे। विकास होगा। लेकिन वहां कौन कहां बैठेगा, वहां सब्जी रखने लायक तक जगह नहीं मिलेगी। फिर कैसे कारोबार करेंगे। यह तो उनके साथ छलावा हो रहा है।
एक बार पहुंच गए फिर कोई नहीं सुनेगा
कारोबारियों का कहना था ठेले हटाने की आड़ में उन्हें भी खदेड़ा गया है। हम भी जानते हैं एक बार झांसे में आकर इंटक मैदान पहुंच गए फिर कोई परेशानी नहीं सुनने वाला। हमें तो यह बताया जाए कि पुरानी मंडी में सब्जी बेचने से प्रशासन को क्या दिक्कत है। सब्जी कारोबारी न तो सडक़ चलने वालों के लिए परेशानी हैं। न उनकी वजह से जाम लगता है। प्रशासन को विकास करना है तो पुरानी मंडी में आकर करे। उसके लिए जगह बदलने की जरूरत क्या है।
भोंपू पर ऐलान दो दिन की मोहलत
मंडी के मसले पर सब्जी कारोबारी और प्रशासन की सीधी बात बंद है। बुधवार को नगरनिगम ने एनाउंस कर इन कारोबारियों को हिदायत दी है कि अगर दो दिन अगर इंटक मंडी में नहीं गए तो उन्हें दी जाने वाली जगह दूसरे कारोबारियों को आबंटित की जाएगी।