न्यायमूर्ति शील नागू ने भादसं की धारा 363, 364-ए, 120 बी एवं डकैती अधिनियम के अपराध में 11 मार्च 19 को पुलिस लाइन थाना मुरैना द्वारा गिरफ्तार किए गए शैलेन्द्र राजौरिया को छायादार एवं फलदार पेड़ लगाने के आदेश दिए हैं। आरोपी को पेड़ लगाए जाने की तीस दिन में रिपोर्ट देनी होगी। उसे पेड़ों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड भी लगाना होंगे। इतना ही नहीं एक साल तक उसे इनकी देखभाल करनी होगी। पुलिस लाइन थाना प्रभारी मुरैना एवं अभियोजन अधिकारी को भी उसके द्वारा पेड़ लगाए जाने की रिपोर्ट देनी होगी की आरोपी ने न्यायालय के आदेश का पालन किया है या नहीं। आदेश का पालन नहीं होने पर उसकी जमानत स्वत: ही निरस्त हो जाएगी। इससे पहले नाबालिग का अपहरण करने तथा पॉक्सो एक्ट के मामले में आरोपी पप्पू उर्फ दयाराम को न्यायमूर्ति शील नागू ने सौ फलदार व छायादार पेड़ लगाए जाने की शर्त पर जमानत पर रिहा किए जाने के आदेश दिए थे।
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इसी न्यायालय ने आरोपी सिकंदर और उसके साथी को जिस स्कूल में 26 जनवरी पर ध्वजारोहण के दौरान उन्होंने गोली बारी कर फरियादी की हत्या का प्रयास किया था उस स्कूल के आस-पास सौ फलदार व छायादार पेड़ लगाए जाने की शर्त पर दोनों आरोपियों को रिहा करने के आदेश दिए गए हैं। न्यायमूर्ति आनंद पाठक द्वारा कई मामलों में आरोपियों को अस्पताल में मरीजों की सेवा करने की शर्त पर जमानत का लाभ दिया है। इसके अलावा वे कई मामलों में आरोपियों को पेड़ लगाने की शर्त पर भी जमानत दे चुके हैं।
जमानत के लिए सेवा की शर्त
न्यायालय द्वारा अपने आदेशों में कहा गया कि आरोपियों के अंदर मानव के अंदर की स्वाभाविक प्रवृत्ति दया, प्रेम और सेवा की भावना को जगाने के लिए उन्हें जमानत का लाभ दिया जा रहा है। इन आदेशों को न्यायालय ने उदाहरण के तौर पर देखे जाने की बात भी आदेश में कही है।
लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए
असिस्टेंट सोलिसीटर जनरल विवेक खेडकर ने बोला उच्च न्यायालय द्वारा पेड़ लगाने के लिए निरंतर जो आदेश दिए जा रहे हैं उससे प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरणा लेकर यह प्रयास करना चाहिए वे इस बरसात में कम से कम एक पौधा जरूर रोपे और उसके बड़ा होने तक उसकी देखभाल करें। यह आदेश लोगों की भलाई के लिए दिए जा रहे हैं। इससे समाज को एक अच्छा संदेश मिल रहा है।