न्यायमूर्ति शील नागू एवं न्यायमूर्ति जीएस अहलुवालिया की युगलपीठ ने याचिका को खारिज कर याचिकाकर्ता उमेश कुमार बोहरे को निर्देश दिए हैं कि वे हर्जाने की राशि मध्यप्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के खाते में साठ दिन में जमा कराएं। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि स्वास्थ्य का मामला निजी होता है, इसे सार्वजनिक रूप से नहीं उठाया जा सकता है। इसे जनहित याचिका नहीं कहा जा सकता है। याचिकाकर्ता ने इस याचिका को प्रस्तुत कर न्यायालय का कीमती समय नष्ट किया है। इस दौरान और भी प्रकरणों की सुनवाई हो सकती थी।
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यह कहा था याचिकाकर्ता ने
एडवोकेट उमेश कुमार बोहरे ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत करते हुए कहा था कि देश के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के स्वास्थ्य के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। उनके स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की रिपोर्ट आ रही है इसलिए न्यायालय से निवेदन किया गया कि लोगों की चिंता को दूर कर उनके स्वास्थ्य की ताजा जानकारी सार्वजनिक की जाए। इससे उनके स्वास्थ्य को लेकर जो भ्रम है वह दूर हो सकेगा।