कांग्रेस में दो पक्ष सामने आ रहे हैं, एक तो यह कि तीन बार पार्षद चुने गए कृष्णराव दीक्षित को महापौर बनाया जाए, वे सर्वाधिक उच्च शिक्षित एलएलएम हैं एवं निगम में नेता प्रतिपक्ष भी हैं। दूसरा यह है कि चुनाव तक ईमानदार अधिकारी को प्रशासक के रूप में नियुक्त करवाकर भाजपा की असफलताओं का ठीकरा अपने सिर न फूटे इससे बचा जाए। प्रशासक की नियुक्ति की वकालत करने वालों का कहना है, पूर्व निगमायुक्त अनय द्विवेदी ने निगम के जिन गड़बड़ अधिकारियों को ठीक किया था, वे सब अब मलाईदार जगहों पर हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई हो और अमृत योजना सहित अन्य योजनाओं में जो गड़बडिय़ां चल रही हैं उस पर रोक लगे।
इस्तीफे के यह माने जा रहे कारण : सांसद का चुनाव जीतने के बाद से ही माना जा रहा था कि शेजवलकर महापौर का पद छोड़ देंगे। जानकारों के अनुसार इसके पीछे दो कारण थे। पहला- प्रदेश में कांग्रेस सरकार के होने से उन्हें दो पदों पर काम करने में दिक्कत आ सकती थी। दूसरा- शहर के लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने में मिली नाकामी से छुटकारा पाना। इसके अलावा निगम में हुईं अनियमितताओं पर प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें नोटिस देने का मामला कोर्ट तक पहुंचना और कई योजनाओं का पूरा नहीं हो पाना भी कारण माने जा रहे हैं।
दीक्षित का नाम सबसे आगे
नगर निगम एक्ट 1956 की धारा-21 के तहत राज्य सरकार किसी भी निर्वाचित पार्षद को चुनाव होने तक कार्यकारी महापौर बना सकती है। यदि कांग्रेस ने महापौर का पद लेना तय किया तो कृष्णराव दीक्षित के नाम पर सहमति हो सकती है। उन्हें खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह का भी समर्थन मिल सकता है। कृष्णराव को अब सिंधिया खेमे का ही माना जाता है। निगम में उपनेता चतुर्भुज धनोलिया भी दावेदारी जता रहे हैं। नगर निगम में कांग्रेस के 10 पार्षद हैं। अधिकांश किसी न किसी नेता के संपर्क में हैं। गुरुवार का दिन इसी जोड़-तोड़ में बीता। सूत्रों के अनुसार अंतिम फैसला ज्योतिरादित्य सिंधिया को करना है। सिंधिया का कार्यक्रम रद्द हो जाने के कारण इस फैसले में अभी दो से तीन दिन का समय और लग सकता है।
कांग्रेस गिना रही भाजपा की असफलताएं
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा का कहना है, पार्टी विचार कर रही है कि जब इंदौर व अन्य शहरों में भाजपा नेता महापौर रहते हुए विधायक रहे हैं, तब विवेक शेजवलकर ने महापौर पद से इस्तीफा क्यों दिया? निश्चित रूप से इसमें शहर की सफाई व्यवस्था, गंदा पानी सहित अन्य विफलताएं प्रमुख रही हैं।