scriptग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र: स्मार्ट सिटी में शामिल हुआ क्षेत्र लेकिन न सडक़ें सुधरीं, न ही आया साफ पानी | gwalior purv vidhansabha | Patrika News
ग्वालियर

ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र: स्मार्ट सिटी में शामिल हुआ क्षेत्र लेकिन न सडक़ें सुधरीं, न ही आया साफ पानी

ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र: स्मार्ट सिटी में शामिल हुआ क्षेत्र लेकिन न सडक़ें सुधरीं, न ही आया साफ पानी

ग्वालियरNov 07, 2018 / 05:09 pm

Gaurav Sen

ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र: स्मार्ट सिटी में शामिल हुआ क्षेत्र लेकिन न सडक़ें सुधरीं, न ही आया साफ पानी

ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र: स्मार्ट सिटी में शामिल हुआ क्षेत्र लेकिन न सडक़ें सुधरीं, न ही आया साफ पानी

ग्वालियर।ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र, वीआइपी क्षेत्र है। जयविलास पैलेस यहीं है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और प्रदेश की नगरीय विकास मंत्री माया सिंह का निवास है। अंचल और विशेषकर ग्वालियर जिले की राजनीति चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, इसी महल के इर्द-गिर्द घूमती है। इसके अलावा सिटी सेंटर जैसे पॉश इलाके और अंचल की पहचान जीवाजी विश्वविद्यालय भी इसी विधानसभा क्षेत्र में हैं।

राज्यसभा सदस्य रहीं माया सिंह 2013 में इस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ीं। जीतने के बाद वह पहले महिला एवं बाल विकास मंत्री बनीं, बाद में उन्हें नगरीय प्रशासन मंत्रालय सौंपा गया। इसके बावजूद इस क्षेत्र का उम्मीदों के अनुरूप विकास नहीं हो सका। यहां न सडक़ें बेहतर हुईं, न ही पीने के साफ पानी का ठीक बंदोबस्त हो सका।
शाम के चार बजे हैं। हम डीडी नगर में हैं। यहां प्रवेश करते ही प्रदेश के सामान्य प्रशासन मंत्री लालसिंह आर्य का निज निवास है। यहां से माधवराव सिंधिया की प्रतिमा की तरफ जाने वाली सडक़ हो या शताब्दीपुरम जाने वाली सडक़, गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं। सडक़ पर डामर बिल्कुल नजर नहीं आता। जीएम और जीएच सेक्टर में पहुंचे तो तीन-चार लोग खड़े थे। उनसे डीडी नगर की हालत के बारे में पूछा, तो उनका दर्द जुबां पर आ गया। बोले, 25-30 साल पहले हाउसिंग बोर्ड ने डीडी नगर को और जीडीए ने शताब्दीपुरम को बसाया था। यहां नगर निगम द्वारा तिघरा और बोरिंग का पानी मिक्स करसप्लाई किया जा रहा है, जिससे घरों में गंदा पानी आ रहा है। सफाई का कोई इंतजाम नहीं। हर सेक्टर में डेंगू फैला हुआ है। सुध लेने कोई नहीं आया। न यहां फॉगिंग हुई और न कचराघर बंद हुआ। यह क्षेत्र वार्ड 18 में आता है, जो इस विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा वार्ड है।

यहां एक होटल पर दो-तीन लोग चाय पीते मिले। उनसे चर्चा की तो वे बोले, 15 साल में डीडी नगर की समस्याएं दूर नहीं हो पाईं। यहां श्मशान तक नहीं है। इसके लिए जो जमीन बताई जाती है, उसकी हर पांच साल में चुनाव आते ही सफाई शुरू हो जाती है। श्मशान बनाने के लिए यहां के लोगों ने चंदा कर 20 लाख रुपए एकत्रित किए थे। वह पैसा किसको दें? डीडी नगर में कहने को 30 पार्क हैं, लेकिन अब तक एक पार्क का ही विकास हुआ है। बाकी बदहाल हैं। लोगों का कहना था कि डीडी नगर, शताब्दीपुरम पूरी तरह विकास विहीन हैं।

इसके बाद हम इस विधानसभा क्षेत्र के उपनगर मुरार पहुंचे। यहां जिला अस्पताल में न तो मरीजों के लिए सुविधाएं मिलीं, न पलंग बढ़ पाए हैं। सदर बाजार में अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम प्रयास करने के दावे करता रहा, लेकिन फुटपाथी कारोबारियों को हटाकर रास्ता साफ नहीं कर सका। आज भी यहां फुटपाथ पर दुकानें जमी हुई हैं। यहां से हम थाटीपुर पहुंचे। यहां कुपोषित बच्चों के लिए अस्पताल बना है, लेकिन वहां कोई सुविधा नहीं दिखती। यहां डिस्पेंसरी है, लेकिन उसमें न डॉक्टर हैं न दवाएं। हम सिटी सेंटर पहुंचे तो वहां लोगों का कहना था कि माया सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र को स्मार्ट सिटी में शामिल कराया, विकास की कुछ पहल भी हुई, लेकिन अब तक न तो अच्छी सडक़ें मिल पाईं, न कोई दूसरी सुविधा।


जनता के बीच रहे विधायक व प्रतिद्वंद्वी
क्षेत्र से विधायक मंत्री माया सिंह यहां सक्रिय रहीं। पिछले चुनाव में प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल की भी बड़े सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों में नजर आते रहे। भाजपा के पार्षद सतीश सिंह सिकरवार भी इस क्षेत्र में सक्रिय हुए। इस बार भाजपा ने माया सिंह का टिकट काटकर सिकरवार को प्रत्याशी बनाया है। मुन्नालाल गोयल फिर इस बार फिर मैदान में हैं।

सरकार का हिस्सा, फिर भी काम अधूरे
विधायक माया सिंह को 2013 में प्रदेश सरकार बनने के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्री बनीं। उन्होंने डीडी नगर को विकसित करने, जिला अस्पताल में पचास से सौ बिस्तर बढ़वाने, सीवरेज ड्रेनेज योजना लागू कराने आदि वादे किए, जो अधूरे रह गए। कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल ने बेहतर सडक़ें, नया बस स्टैण्ड, डीडी नगर में तीस बिस्तरों का अस्पताल खुलवाने आदि वादे किए थे, लेकिन वे चुनाव हार गए थे।

यह चाहते हैं लोग

2013 के चुनाव में हार-जीत का अंतर रोजगार, सडक़ें और साफ पानी मुद्दा
ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी, महंगाई, बेहतर सडक़ें, जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी और मरीजों को इलाज की बेहतर सुविधाएं तथा साफ पानी है। अपराध और जमीनों के कब्जों के मामले भी यहां काफी हैं।

Home / Gwalior / ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र: स्मार्ट सिटी में शामिल हुआ क्षेत्र लेकिन न सडक़ें सुधरीं, न ही आया साफ पानी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो