ग्वालियर

प्रदेश में यहां मिलती है सबसे सस्ती गाड़ियां, जल्द ही आए यहां और पाए इस योजना का लाभ

gwalior vyapar mela 2020 : शहर के सागरताल में 1905 में मेले ने लिया था साकार रूप

ग्वालियरJan 10, 2020 / 03:25 pm

monu sahu

प्रदेश में यहां मिलती है सबसे सस्ती गाड़ियां, जल्द ही आए यहां और पाए इस योजना का लाभ

ग्वालियर। देश और प्रदेश में प्रसिद्ध ग्वालियर व्यापार मेला शुरू हो चुका है। जिसमें हर रोज हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे है। साथ ही यदि आप सस्ती और कम कीमत में वाहन खरीदने की सोच रहे है तो आपका यह सपना ग्वालियर व्यापार मेला में पूरा हो सकता है। ग्वालियर व्यापार मेले में पहले 10 दिन में ही 90 करोड़ रुपए कीमत के 2247 वाहन बिक चुके हैं। रोड टैक्स में 50 फीसदी छूट होने के बाद भी परिवहन विभाग को 4 करोड़ 30 लाख रुपए राजस्व मिल चुका है। वहीं गुरुवार को 68 कार, 108 बाइक, 11 ऑटो और 6 लोडिंग वाहन बिके।
सर्द हवाओं से कांपे लोग, दो दिन में इतना गिरा तापमान, अब और बढ़ेगी ठंड

इतना ही नहीं ऑटोमोबाइल सेक्टर में दस दिन में हुआ कारोबार पिछले साल पूरे मेला सीजन में हुए 280 करोड़ रुपए के कारोबार का 32 फीसदी से अधिक है। कारोबारियों को उम्मीद है कि इस बार कुल 450 करोड़ रुपए तक की गाडिय़ां बिकेंगी। मेले में टैक्स में छूट के बाद 31 दिसंबर से गाडिय़ों की डिलीवरी शुरू की गई है। हालांकि यह मेला अभी 30 दिन और चलेगा ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस बार मेले में वाहनों की बिक्री अधिका हो सकती है।
श्वेता की मौत के बाद भी जिंदा आंखें रहेंगी, पेश की मिसाल

ऐसा है ग्वालियर मेले का इतिहास
ग्वालियर के तत्कालीन शासक स्व. माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर मेले की शुरुआत की थी। उस समय पूरी रियासत अकाल से पीडि़त थी और कारोबार ठप हो गया था। इसको देखते हुए स्व. सिंधिया ने मेले का शुभारंभ किया। सागरताल में मेलेे ने 1905 में साकार रूप लिया,तब शायद सिंधिया ने कल्पना भी नहीं की होगी कि पशु मेले के रूप में शुरू हुआ यह मेला करोड़ों का कारोबार करने लगेगा। 23 अगस्त 1984 को ग्वालियर व्यापार मेले को राज्य स्तरीय व्यापार मेले का दर्जा दिया गया।
कम उम्र में शादी और फिर दुराचार का शिकार हुई यह महिला, जानिए

वर्ष 1996 में ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण बना। अब यह मेला करीब 104 एकड़ में विशाल परिसर में फैला हुआ है। इसमें 2 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में पार्क और बगीचे हैं। साथ ही एक लाख 80 हजार वर्ग फीट में हरियाली पट्टी है। मेले के व्यापारिक क्षेत्र में भव्य पारंपरिक कट स्टोन वास्तु शिल्प में निर्मित भव्य द्वारों की मदद से अष्टकोणीय सेक्टरों में विभाजित हैं। पारंपरिक पाषाण वास्तु शिल्प में बनी 1500 छोटी-बड़ी दुकानें, 250 चबूतरे और 23 छत्रियां मेले की खूबसूरती बढ़ाती है।
पश्चिमी राजस्थान में बने चक्रवात का प्रदेश में असर, चंबल में अब और बढ़ेगी ठंड

मेले के एक ओर पारंपरिक
ग्वालियर पशु मेले के लिए एक विशाल खुला क्षेत्र है तो दूसरी ओर प्रदर्शनियों के लिए भी परिसर बनाया गया है। राजमाता विजयाराजे सिंधिया उद्यान में बना शहीद स्तंभ 33 फीट ऊंचा और 10 फीट चौड़ा है। स्तंभ में 15 लाल एवं 7 सफेद पत्थरों का उपयोग किया गया है। मेले के दंगल में एक समय शहर के पहलवान ने विश्वविख्यात गामा पहलवान को पटखनी दी थी। कुश्ती को प्रोत्साहित करने के लिए मेले में होने वाली दंगल प्रतियोगिता में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के पहलवान भाग लेते हैं।शिल्पकारों को प्रोत्साहन देने के लिए पहली बार शिल्प बाजार की शुरुआत 25 दिसंबर 1988 से 25 जनवरी 1989 तक 11-11 दिन के तीन चरणों में कला मंदिर के पास आयोजित किया गया। अब शिल्प बाजार एक चरण में 10 दिन के लिए लगाया जाने लगा है। यहां देश भर के शिल्पी आते हैं।
निर्मला ने फोन कर प्रेमी को बुलाया और मार दी गोली, आपने आज तक नहीं सुनी होगी प्रेम प्रसंग और मौत की कहानी

बीत चुके हैं 114 वर्ष
ग्वालियर के व्यापार मेले को शुरू हुए अभी 114 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है। परंपरा और आधुनिकता के संगम वाले इस व्यापार मेले की शुरूआत 1905 में सागरताल से हुई थी। उस समय पूरी रियासत अकाल से पीडि़त थी। कारोबार चौपट हो गए थे। इसी को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन शासक स्व. माधवराव सिंधिया ने इसका शुभारंभ किया था। सागरताल में जब मेलेे ने साकार रूप लिया,तब शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि पशु मेले के रूप में शुरू हुआ यह मेला करोड़ों का कारोबार करने लगेगा।
कई वाहनों की हो चुकी हैं बुकिंग
मेले के ऑटोमोबाइल सेक्टर में रोड टैक्स में इस साल मिली 50 फीसदी छूट का असर मेला शुरू होने से पहले ही देखने को मिल रहा है। जानकारी के मुताबिक अभी तक एक हजार से अधिक टूव्हीलर तो ढाई हजार से अधिक फोर व्हीलर वाहनों की एडवांस बुकिंग हो चुकी है। आरटीओ छूट के लिए भोपाल से ऑनलाइन पोर्टल के खुलते ही मेले से वाहनों की बिक्री शुरू हो जाएगी। इस साल के मेले का टर्नओवर 700 करोड़ को पार करने की उम्मीद है।
चंबल के ऑटोमोबाइल डीलरों की रसीद कटी
चंबल ऑटो एसोसिएशन के डीलरों ने भी इस साल के मेले में अपने शोरूम लगाने की मंशा जाहिर की थी। इसके चलते मुरैना और भिंड के नौ डीलरों ने अपने आवेदन दिए थे, इन सभी की रसीदें गुरुवार को मेला प्राधिकरण की ओर से काट दी गई हैं। मुरैना के डीलर अमर सिंह भदौरिया ने बताया कि हमारे सभी डीलरों की रसीदें कट चुकी हैं। कल से अपना काम शुरू कर देंगे।

Home / Gwalior / प्रदेश में यहां मिलती है सबसे सस्ती गाड़ियां, जल्द ही आए यहां और पाए इस योजना का लाभ

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.