वह कुछ दिनों से थायराइड की बीमारी से ग्रसित थीं। उनका इलाज जेएएच के आइसीयू में चल रहा था। मौत होने पर उनके पिता सुनील वाघमारे ने अपने रिश्तेदार और जायंटस ग्रुप ऑफ ग्वालियर के संस्थापक सुरेश घोड़के से संपर्क किया।इसके बाद देहदान के लिए एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉक्टर राजेन्द्र गुप्ता से चर्चा कर परिजन की सहमति से देहदान किया। श्वेता के तीन बच्चे हैं।
श्वेता के परिजन ने मौत के तुंरत बाद संपर्क किया तो समय रहते देहदान से पहले ज्योति नेत्रालय स्थित स्वामी विद्याानंद भारती आई बैंक में उनके नेत्रदान किए गए। अब तक 30 लोगों ने किया देहदान
एनाटॉमी विभाग में गुरुवार को श्वेता के देहदान को मिलाकर अभी तक 30 लोगों ने देहदान किया है। इससे पहले सभी 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। पहली बार 40 वर्षीय महिला का देहदान किया गया है। सबसे पहले पद्मश्री लीला फाटक ने 29 जून 2000 को देहदान किया था।