अभी वन्य जीवों को खुलापन नहीं मिल पा रहा है। विस्तार के लिए किए गए जीपीएस सर्वे के बाद जमीन आवंटित की जाती तो चिडिय़ाघर में हाथी, जिराफ और चिंपांजी जैसे कई वन्य जीवों को लाकर शहर में आने वाले सैलानियों का आकर्षण बढ़ाया जा सकता था। यह शहर के पर्यटन को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण कदम साबित होता।
वापस की जमीन : रायरू के पास दुगनावली गांव में पूर्व में चिडिय़ाघर के लिए राजस्व विभाग द्वारा जमीन आवंटित की गई थी। शहर से बहुत दूर होने के कारण एवं वन्य जीवों के लिए अनुकूल न होने से केंद्रीय जू प्राधिकरण ने इस जमीन पर जू को ट्रांसफर करने पर आपत्ति जताई, इसके बाद जू को शहर से बाहर करने का काम अटक गया। उक्त जमीन को नगर निगम ने कलेक्टर को वापस करते हुए गुढ़ा-गुड़ी के नाके पर मौजूद वन विभाग की जमीन आवंटित करने की मांग की है।
जमीन के बदले जमीन
इस मामले में जमीन के बदले जमीन देने का प्रावधान है। इसके तहत कलेक्टर और वन विभाग के बीच जमीन की अदला-बदली की प्रक्रिया होना शेष है। अगर यह प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाए, तो शहर में टाइगर के परिवार को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर शहर को ख्याति मिल सकती है।
जमीन का पेंच
भेज दिया है प्रस्ताव
शहर में वाहनों का धुआं और ध्वनि प्रदूषण का असर जू पर पड़ रहा है। इसके लिए हमने जू को गुढ़ा-गुड़ी के नाके पर ट्रांसफर करने के लिए प्रक्रिया पूरी कर दी है।
विनोद शर्मा, आयुक्त नगर निगम
तेजी से होगी कार्रवाई-
अभी यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। मैं इसकी जानकारी संबंधित अफसरों से लूंगा और जो भी कार्रवाई वन्य जीवों के हित में होगी, वह तेजी से पूरी की जाएगी।
अशोक वर्मा, कलेक्टर