बंजारा समाज की बस्तियों और मजरों में होली के दिनों में फाग (होली के गीत) के गीतों के बीच महिलाओं के ग्याड़ गान (गालियों के गीत) से होली की हुड़दंग दुगुनी हो जाती है। इसके साथ ही सभी लोग नए कपड़े पहनकर रंग बरसाते हैं और जमकर होली खेलते हैं। यही वजह है कि जहां सामान्य रूप से होली की चमक फीकी पड़ती जा रही है, वहीं दूसरी ओर श्योपुर जिले में विभिन्न गांवों में निवासरत बंजारा समाज में होली का उत्साह त्योहार को अद्वितीय बनाता है।
महिलाएं जमकर मारती हैं लठ्ठ
होली की मस्ती के बीच बंजारा समाज की इन बस्तियों और मजरों में महिलाएं पुरुषों को जमकर ल_ मारती हैं। होली के इस उल्लास में पुरुषोंं पर टूट पड़ती हैं, जमकर लठ्ठ बरसाती हैं और उसे रंगों से सरोबार तक कर दिया जाता है। ऐसे में जब वह व्यक्ति कुछ नेग (उपहार राशि) देता है तभी महिलाएं उसे छोड़ती हैं। यही कारण है कि महिलाएं जब ल_मार होली खेलती हैं तो बंजारों की बस्ती में भी बरसाना सी झलक दिखती है।
होली पर नए कपड़े पहनने और महिलाओं द्वारा ल_मार होली खेलने की वर्षों से चली आ रही है परंपरा है। हांलाकि शहरों से जुड़े समाज के लोग इस परंपरा से परे हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इस तरह के आयोजन होली पर अभी भी होते हैं।
धारा सिंह बंजारा, युवा समाजसेवी और जनपद सदस्य प्रतिनिधि श्योपुर