बारिश और टूटे टीनशेड, कैसे हो अंतिम संस्कार?
मुक्तिधाम आने वाले लोग उस मनोस्थिति में नहीं होते कि शिकवा शिकायत करें, इसलिए जो स्थितियां हैं, उसमें ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी करते हैं। बरसात के दिनों में टीन के टूटे हिस्सों से बारिश का पानी चिता पर आता है। इसके अलावा यहां कंडों से अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए स्थान भी क्षतिग्रस्त हैं।
बारिश और टूटे टीनशेड, कैसे हो अंतिम संस्कार?
ग्वालियर. मुक्तिधाम आने वाले लोग उस मनोस्थिति में नहीं होते कि शिकवा शिकायत करें, इसलिए जो स्थितियां हैं, उसमें ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी करते हैं। बारिश के मौसम में मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। बरसात के दिनों में इनके नीचे शव का अंतिम संस्कार करने पर टीन के टूटे हिस्सों से बारिश का पानी चिता पर आता है। इसके अलावा यहां कंडों से अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए स्थान भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। यह हाल शहर के लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम का है। यहांं अपने परिजन का अंतिम संस्कार करने आने वाले लोगों को बदइंतजामी का सामना करना पड़ता है। खासकर बरसात के मौसम में स्थिति ज्यादा बिगड़ जाती है।
मुक्तिधाम में करीब 12-13 टीन शेड हैं। इनमें कुछ की टीन खराब हो चुकी है। मुक्तिधाम के बाहर अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी बेचने वाले कहते हैं कि गर्मी, सर्दी में तो फिर भी राहत रहती है, बारिश के मौसम में यहां अंतिम संस्कार के लिए आने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर मुक्तिधाम में सुबह से रात तक 5 से 8 शवों का अंतिम संस्कार होता है। इस दौरान तेज बारिश हो जाए तो अंतिम संस्कार करने वालों के लिए चिता को पानी से बचाना मुश्किल हो जाता है। यही हालत विवेकानंद नीडम रोड पर स्थित और चार शहर का नाका के मुक्तिधाम की भी है।
लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम के पास रहने वाले बताते हैं कि रात में श्मशान में अपराधियों का मूवमेंट भी शुुरू हो जाता है। कई अपराधी अंधेरा होने पर पुलिस से बचने के लिए यहां रात काटते हैं। यहां रात तक लोगों का आना जा रहता है, इसलिए अपराधी बाजू में बने दूसरे धर्म के मुक्तिधामों को सुरक्षित ठिकाना बनाते हैं। क्योंकि उन्हें पता होता है कि मुक्तिधाम के अंदर तो पुलिस झांकने आएगी नहीं।
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