भूल गए वादा
शुक्रवार को पत्रिका ने शहर के उन बाजारों के हालात देखे, जहां सकरे रास्तों पर तमाम कोशिशों के बावजूद सलीके से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सकता है। इन बाजारों में पिछले दिनों ग्राहकों की ठसाठस भीड़ रही है। इसके अलावा बाजारों को खुलवाने के लिए कारोबारियों ने प्रशासन के सामने कसम खाई थी कि ग्राहकों में सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजेशन से सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन कारोबार शुरू होने के बाद ज्यादातर कारोबारी वादे को भी भूल गए।
शुक्रवार को पत्रिका ने शहर के उन बाजारों के हालात देखे, जहां सकरे रास्तों पर तमाम कोशिशों के बावजूद सलीके से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सकता है। इन बाजारों में पिछले दिनों ग्राहकों की ठसाठस भीड़ रही है। इसके अलावा बाजारों को खुलवाने के लिए कारोबारियों ने प्रशासन के सामने कसम खाई थी कि ग्राहकों में सोशल डिस्टेंसिंग और सेनेटाइजेशन से सुरक्षा उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन कारोबार शुरू होने के बाद ज्यादातर कारोबारी वादे को भी भूल गए।
चाबड़ी बाजार
सकरे रास्तों के बाजारों में इसकी भी गिनती होती है, बाजार थोक और फुटकर कारोबार के अलावा रिहायशी इलाका भी है। यहां लोगों का कहना है सुबह से बाजार में लोगों की आवाजाही कारोबार बंद होने तक रहती है। बाजार का एक छोर गांधी मार्केट और दूसरा खासगी बाजार में खुलता है। सकरा होने की वजह से कई बार जाम के हालात बनते हैं। इस बाजार में अनलॉक फेज वन का आधा सत्र तो सामान्य रहा, लेकिन उसके बाद बाजार में भी भीड़ बढ़ी। बाजार का रास्ता सकरा ही है तो चाह कर भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का सलीके से पालन नहीं हो सकता।
सकरे रास्तों के बाजारों में इसकी भी गिनती होती है, बाजार थोक और फुटकर कारोबार के अलावा रिहायशी इलाका भी है। यहां लोगों का कहना है सुबह से बाजार में लोगों की आवाजाही कारोबार बंद होने तक रहती है। बाजार का एक छोर गांधी मार्केट और दूसरा खासगी बाजार में खुलता है। सकरा होने की वजह से कई बार जाम के हालात बनते हैं। इस बाजार में अनलॉक फेज वन का आधा सत्र तो सामान्य रहा, लेकिन उसके बाद बाजार में भी भीड़ बढ़ी। बाजार का रास्ता सकरा ही है तो चाह कर भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का सलीके से पालन नहीं हो सकता।
दही मंडी
महाराज बाड़े से सटे कपड़े के बाजार का रास्ता सकरी गलियों का है। यहां दुकानदार कहते हैं कि अनलॉक वन की शुरुआत में तो लोग घरों से कम ही निकले, लेकिन शादियों का मौसम शुरू हुआ तो बाजार में खरीदारों की भीड़ ही रही। यहां शहर के अलावा शिवपुरी, दतिया, भिंड और कोरोना हॉटस्पॉट मुरैना से भी ग्राहकों की आवाजाही रही। रास्ता सकरा होने की वजह से यहां चाहकर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सकता। कारोबारियों के मुताबिक दही मंडी में आने के तीनों रास्ते सकरे हैं। करीब साढ़े चार फीट चौड़ी सडक़ है उसमें भी कारोबारी दुकान के बाहर सामान रख लेते हैं तो चलने लायक जगह कम हो जाती है। बाजार में थोड़ी भीड़ में ही चलने लायक रास्ता नहीं बचता। अब ऐसे हालात में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे हो सकता है। कारोबारियों का कहना है दुकान में आने वाले ग्राहक को सेनेटाइज भी कराते हैं, लेकिन बाजार के सकरे रास्ते पर लोगों को एक दूसरे से रगड़ कर चलना पड़ता है इसमें संक्रमण फैलने का खतरा तो है।
नजरबाग, सुभाष मार्केट
महाराज बाड़े से सटे कपड़े के बाजार का रास्ता सकरी गलियों का है। यहां दुकानदार कहते हैं कि अनलॉक वन की शुरुआत में तो लोग घरों से कम ही निकले, लेकिन शादियों का मौसम शुरू हुआ तो बाजार में खरीदारों की भीड़ ही रही। यहां शहर के अलावा शिवपुरी, दतिया, भिंड और कोरोना हॉटस्पॉट मुरैना से भी ग्राहकों की आवाजाही रही। रास्ता सकरा होने की वजह से यहां चाहकर भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो सकता। कारोबारियों के मुताबिक दही मंडी में आने के तीनों रास्ते सकरे हैं। करीब साढ़े चार फीट चौड़ी सडक़ है उसमें भी कारोबारी दुकान के बाहर सामान रख लेते हैं तो चलने लायक जगह कम हो जाती है। बाजार में थोड़ी भीड़ में ही चलने लायक रास्ता नहीं बचता। अब ऐसे हालात में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे हो सकता है। कारोबारियों का कहना है दुकान में आने वाले ग्राहक को सेनेटाइज भी कराते हैं, लेकिन बाजार के सकरे रास्ते पर लोगों को एक दूसरे से रगड़ कर चलना पड़ता है इसमें संक्रमण फैलने का खतरा तो है।
नजरबाग, सुभाष मार्केट
बाजार का बाहरी रास्ता तो चौड़ा है, लेकिन अंदर दाखिल होने पर चलने लायक जगह कम है। कोरोना से बचाव के लिए कम से कम तीन फीट की दूरी जरूरी है। यहां कारोबारी कहते हैं कि भीड़ कम हो तो लोग एक दूसरे से दूरी बना सकते हैं, ईद और उसके बाद शादियों के सीजन में बाजार में खरीदारों की भीड़ रही। ऐसे मेंं बाजार में ग्राहकों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हुई। दोनों बाजार में ज्यादातर दुकानों में ग्राहक के अंदर आने लायक जगह नहीं है। दुकानदार मानते हैं कि पिछले दिनों बाजार में भीड़ बढ़ी तो कोरोना से सुरक्षा के सारे नियम धरे रहे। लॉकडाउन के बाद जब बाजार खुले थे तो करोबारियों ने अपने और ग्राहकों की सुरक्षा के लिए सेनेटाइजर भी रखे, लेकिन फिर यह भी दुकानों से गायब हो गए।
डीडवाना ओली
डीडवाना ओली
इस बाजार में फोम के गद्दे और तेजाब मार्केट का हिस्सा घना है। रास्ता सकरा होने की वजह से एक तरफ जाने वाले वाहन ही चल सकते हैं, लेकिन गली में दोनों तरफ का यातायात हर वक्त चलता है उसके अलावा गद्दे, तेजाब और इलेक्ट्रोनिक सामान की दुकानों पर खरीदारों की हर समय आवाजाही रहती है। इस बाजार में आने जाने वालों को कायदे सें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना आसान नहीं है।