सचाई तो यह है कि भारतीय टीम का जो जलवा आज दिखाई दे रहा है, उसकी बुनियाद ही इस शहर में बनी। भारतीय महिला हॉकी टीम में एक—दो नहीं बल्कि चार प्लेयर्स ऐसी हैं जिनका हुनर निखारने में ग्वालियर की राज्य महिला हॉकी अकादमी के कोच परमजीत सिंह बरार का बड़ा योगदान है। महिला हॉकी टीम की पी सुशीला चानू, मोनिका और रीना खोकर तो ग्वालियर स्थित अकादमी में ही रहीं हैं।
ऑस्ट्रेलिया से हुए मैच में जहां गुरजीत कौर के गोल ने जीत दिलाई वहीं भारतीय टीम के डिफेंस की मजबूती भी सामने आई। टीम की गोलकीपर सविता पूनिया के साथ ही इसमें अन्य डिफेंडर का भी अहम योगदान रहा। कोच परमजीत सिंह बताते हैं कि डिफेंस में सुशीला चानू और मोनिका ने भारतीय टीम को बहुत मजबूती दी है। मिड फील्डर चानू तो अपना लगातार दूसरा ओलिंपिक खेल रहीं हैं।
वे महज 13—14 साल की उम्र में ही ग्वालियर अकादमी में आ गई थीं। उन्होंने यहां सन 2006 से 2010 तक हॉकी का प्रशिक्षण लिया। इसी तरह रीना खोखर ने भी यहां रहकर प्रशिक्षण लिया है। मिड फील्डर मोनिका भी दो साल तक इस अकादमी में प्रशिक्षण ले चुकी हैं। परमजीत सिंह के अनुसार ये सभी प्लेयर्स बहुत कम उम्र में ट्रेनिंग लेने लगीं थीं जिसका प्रभाव अब भारतीय टीम की उपलब्धियों के रूप में नजर आ रहा है।
भारतीय महिला हॉकी टीम को सेमी फाइनल तक पहुंचाने में वंदना कटारिया ने अहम रोल निभाया है. वंदना ने टोक्यो में अफ्रीका के खिलाफ हैट्रिक बनाकर देश को क्वार्टर फाइनल में पहुंचा दिया था। हैट्रिक गर्ल वंदना के बारे में परमजीत सिंह कहते हैं— वे ड्रिब्लिंग की तो मास्टर है. वंदना शारीरिक रूप से बेहद मजबूत हैं और उनका स्किल अब भारतीय महिला हॉकी टीम के नए प्रतिमान गढ़ने में सबसे ज्यादा सहायक होगा।