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उदयपुर

मेधा पाटकर बोलीं, शराब के ठेकों में कई नेता हैं पार्टनर, राजस्थान में मुख्यमंत्री को भी शराब से परहेज नहीं

पाटकर ने उदयपुर में नशामुक्त भारत आंदोलन के बैनर तले जन संगठनों, आदिवासी मुखियाओं और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों को गणतंत्र दिवस पर सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि शराब तो शराब है चाहे वह वैध हो या अवैध।

उदयपुरJan 28, 2017 / 02:52 pm

madhulika singh

नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता और नशा मुक्त भारत आन्दोलन की राष्ट्रीय संयोजक मेधा पाटकर ने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी एेतिहासिक मार्गदर्शकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मोदी का गांधी की जगह चरखे के साथ बैठना धिक्कारजनक है। वे सरदार पटेल की प्रतिमा पर चार हजार करोड़ खर्च कर रहे हैं, जबकि वह चीन में बन रहा है। वे कंपनी और उसका प्रचार कर रहे हैं।
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पाटकर ने उदयपुर में नशामुक्त भारत आंदोलन के बैनर तले जन संगठनों, आदिवासी मुखियाओं और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों को गणतंत्र दिवस पर सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि शराब तो शराब है चाहे वह वैध हो या अवैध। राजस्थान में भी बिहार की तरह शराबबंदी को लेकर आवाज उठनी चाहिए। हम गुरुचरण छाबड़ा की शहादत को भूले नहीं हैं। राजस्थान को शराब मुक्त करवाकर रहेंगे। उन्होंने मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब गुजरात में शराबबंदी है तो देश में क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि कई नेता शराब के ठेकों में पार्टनर हैं। राजस्थान की मुख्यमंत्री तो इसके लिए मशहूर हैं वे शराब को अछूता नहीं मानती। ममता बनर्जी भी इसका कारोबार शुरू करने जा रही हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान से गुजरात शराब जा रही है। रेत की तरह शराब के ठेके दिए जा रहे हैं। पेसा कानून में ग्राम सभा को शराबबंदी का पूरा अधिकार दिया गया है लेकिन यह कानून लागू नहीं किया जाता। सरकार की जिम्मेदारी पौष्टिक आहार खिलाना है, नशा करवाना नहीं। हम राजस्थान को शराब मुक्त कराकर रहेंगे। उन्होंने लोगों से नशा नहीं करने एवं शराब नहीं पीने आदि के संकल्प पत्र भी भरवाए। 
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सभा में आंदोलन के डॉ. सुनीलम, धरम चन्द, कारूलाल कोड़े, आदिवासी जागृति संगठन की बत्ती बाई, तमिलनाडु के शिवाजी मुत्थुकुमार आदि ने भी विचार व्यक्त किए। आन्दोलन के दूसरे चरण की यात्रा गुरुवार को उदयपुर पहुंची। राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पई में कश्मीर से कन्याकुमारी तक से आए यात्रियों ने परिसर में झंडारोहण किया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की सराहना की। जंगल जमीन जल संगठन के रमेश नन्दवाना ने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्वच्छ पानी नहीं मिलता, लेकिन शराब आसानी से उपलब्ध हो जाती है। एकल महिला संस्था की जिम्मी श्रीवास्तव ने बताया कि राजस्थान में शराबबंदी के लिए लोग तो तैयार हैं लेकिन सरकार नहीं। आस्था संस्था ने बताया कि आदिवासी समाज ने सरकार को शराबबंदी के लिए ज्ञापन भेजा, लेकिन सरकार ने फरमान सुना दिया कि उनको शराब की दुकानें खोलने की छूट दी जाए। इसके बावजूद महिलाओं ने मतदान कर काछबली गांव में शराब की दुकानें बंद करवा दी। 

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