यहां कभी बंजर पहाड़ी थी, जो अधिकारियों की कोशिशों और किसान की मेहनत से अब हरा-भरा घना जंगल है। रायपुर कला पनिहार के पास का गांव हैं, जहां रायपुर बांध है। स्वर्ण रेखा की लिंक नहर पर स्थित इस बांध के पास ही पहाड़ी क्षेत्र है, जो कभी बंजर था।
यहां पर करीब दस वर्ष पूर्व जिला पंचायत द्वारा प्लांटेशन शुरू किया गया, इसके बाद कई चरणों में यहां पर बल्क में प्लांटेशन किया गया। इसके लिए क्षेत्र के किसान की जमीन के पास ही उसे सरकारी जमीन भी प्लांट लगाने के लिए दी गई, जिसकी देखभाल नरेंद्र कुशवाह का परिवार पिछले दस वर्ष से कर रहा है।
कभी बंजर रही पहाड़ी किसान की लगन और मेहनत से आज हरियाली में परिवर्तित हो चुकी है, जिस पर आंवला, नीम एवं अन्य फलदार पौधे अब घने पेड़ बन चुके हैं। सवाल यह है कि जब ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा प्लांटेशन हो सकता है, तो शहर के पास स्थित पहाड़ी क्षेत्रों पर क्यों नहीं हो सकता।
मनरेगा के तहत हुआ प्लांटेशन
इस पहाड़ी पर मनरेगा के तहत अलग-अलग चरणों में तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी और तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ विनोद शर्मा ने क्षेत्र के किसान को प्लांटेशन की जिम्मेदारी सौंपी, तब से आज तक कुशवाह परिवार इसकी देखरेख कर रहा है, इसके चलते यह पहाड़ अब हरा-भरा हो गया है। अब यहां सैकड़ों पक्षियों का ठिकाना बन चुका है।
तार फेंसिंग और बाउंड्री
जंगल में प्लांटेशन करने के बाद भी उसके चारों ओर तार फेंसिंग, बाउंड्री एवं पौधों के लिए सोलर पंप लगवाया गया है, जो पौधों के लिए पानी मुहैया करा रहा है।
हमारा परिवार दस साल से पहाड़ी पर किए गए पौधरोपण की सुरक्षा कर रहा है। आज भी आवारा पशुओं से पौधों को बचाना और लोगों से पेड़ को बचाना चुनौती पूर्ण कार्य है।
नरेंद्र कुशवाह, केयर टेकर
यह बात सही है कि बल्क में प्लांटेशन होने से शहर को लाभ होगा। इसके लिए निगम की ओर से कुछ स्थानों का चयन किया गया है, जहां हम प्लांटेशन करा रहे हैं।
विनोद शर्मा, आयुक्त नगर निगम