मंदिर के श्रावक जय कुमार कोठारी ने बताया कि 1792 में जब लश्कर बस रहा था, तब स्टेट टाइम के महाराज महादजी राव सिंधिया ने दान में मकान और जमीन दी, जिसमें सराफा बाजार से बारादरी तक की जगह के पट्टे दिए गए थे। इस मंदिर में भगवान पाŸवनाथ की मूर्ति स्थापित है, जो राजस्थान के मेड़ता से लाए थे। दो हजार बैलगाडिय़ों से 550 लोग अपना घर छोडकऱ ग्वालियर आए थे। इस मंदिर में भगवान पाŸवनाथ जो श्याम वर्ण की है इसके साथ रिषभ देव, पारसनाथ, सुपार्शनाथ, भैरोनाथ, पद्मावती, स्वामी भगवान महावीर को मिलाकर कुल 16 प्रतिमाएं स्थापित हैं।
चातुर्मास प्रवचन
लोभ करने से होता है जीवन बर्बाद
अविचल सागर
इच्छाओं की पूर्ति करना ही जीवन नहीं