जीवाजी विश्वविद्यालय ने करीब दो साल पहले नागपुर की विवादित एजेंसी माइक्रो प्रो एंड साॅल्यूशन प्रालि को परीक्षा व गोपनीय संबंधी काम करने का ठेका दिया था। एजेंसी ने जब से काम संभाला है, तभी से वह विवादों में आ गई। शुरू से ही एजेंसी की गड़बड़ी शुरू हो गई। परीक्षा परिणाम से लेकर चार्ट, अंकसूची, टेबुलेशन चार्ट सहित अन्य काम में भारी गड़बड़ी बरती गई। ज्यादातर विषयों की अंकसूची गलत भेजी गईं, जिससे छात्रों के सामने मुसीबत खड़ी हो गई। यही वजह है कि परेशान छात्रों का विवि में जमावड़ा लगने लगा और वह सीएम हेल्पलाइन में शिकायत भी करने लगे। आए दिन हो रही गड़बड़ी से परेशान विवि के परीक्षा नियंत्रक सहित अन्य अधिकारियों ने सख्त पत्र लिखे और उक्त एजेंसी से काम नहीं कराने के संबंध में हाथ खड़े कर दिए। बाद में कार्यपरिषद ने उक्त कंपनी से काम छीनते हुए भुगतान नहीं करने का निर्णय लिया।
अब विवि के आला अधिकारी चहेती एजेंसी को बिना सही तरीके से काम किए ही भुगतान करने की तैयारी में जुटे हुए थे। कुलसचिव प्रो. आनंद मिश्रा की अनुपस्थिति में प्रभारी कुलसचिव से कंपनी को करीब 80 लाख रूपए भुगतान के संबंध में फाइल बढ़वाने की बात सामने आई। यह मामला सामने आने के बाद कुलसचिव ने इस पर सख्त आपत्ति दर्ज कराते हुए भुगतान नहीं करने की बात कही। साथ ही कहा कि यह इस संबंध में फाइल दिखवाने के बाद भी निर्णय लिया जाए। आपत्ति के बाद विवि ने फिलहाल भुगतान संबंधी फाइल रोक दी है।