इसके बाद प्रदेश महामंत्री सुनील शर्मा सहित अन्य नेताओं ने भी केन्द्र के इस कदम को देशहित में बताया। सिंधिया के इस बयान के बाद यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि वह पार्टी में असहज महसूस कर रहे हैं और भाजपा में जा सकते हैं। इस पर सिंधिया समर्थक यह कहते रहे कि विरोधियों ने यह बात उड़ाई है।
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जो सफलता मिली उसका श्रेय सिंधिया को दिया जा रहा था। उनके समर्थक चाहते थे कि सिंधिया को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जाए, लेकिन कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद सिंधिया समर्थकों को झटका लगा था। इसके बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग भी उठी, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
लोकसभा चुनाव में उन्हें पश्चिम उत्तरप्रदेश का प्रभारी बनाया गया था,लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जो शिकस्त मिली उससे पूरी कांग्रेस हिल गई,जो अभी तक उबर नहीं पाई है। राहुल गांधी द्वारा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद समर्थकों ने सिंधिया को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग कर दी। कहा यह भी जा रहा है कि इस मांग के कारण ही सिंधिया को महाराष्ट्र भेजा गया है।
सिंधिया समर्थक विधायक मुन्नालाल गोयल का कहना है कि हाल ही में सोशल मीडिया पर सिंधिया के भाजपा में जाने की जो बातें उड़ाई गईं वह भ्रामक थीं। यह उनके खिलाफ दुष्प्रचार था। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की जिम्मेदारी मिलना अच्छी बात है।