पति की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना के लिए यह निर्जला व्रत शनिवार को सुबह सूर्योदय के साथ शुरू हो जाएगा। सनातन संस्कृति में इस व्रत का विशेष महत्व है। चंद्रमा का दर्शन कर अर्घ्य दिया जाता है, इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती से पूजा करते हैं। करवा चौथ की कथा सुनाई जाती है। महिलाएं दानपुण्य करती हैं। पति की पूजा कर आरती की जाती है।
बाजार में रही महिलाओं की भीड़: शुक्रवार को दिनभर बाजार में महिलाओं की भीड़ रही। वे साड़ी की खरीदारी, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और ब्यूटी parlor पर सजधज में व्यस्त रहीं।
7.59 बजे के बाद होगा चंद्र दर्शन
पंडित वाचस्पति शास्त्री के मुताबिक चंद्रमा का उदय 7.59 बजे के बाद हो जाएगा। इस तरह ग्वालियर में 8.15 बजे से 8.30 बजे तक साफ नजर आएगा। इस बार चंद्रमा का दशज़्न रोहिणी नक्षत्र में उच्च का रहेगा।
करवाचौथ पूजा का मुहूतज़्
धमज़्ग्रंथों के मुताबिक, ज्योतिष में जो 27 नक्षत्र बताए गए हैं ये सभी चंद्रमा की पत्नियां हैं। इनमें से एक रोहिणी चंद्रमा की सबसे प्रिय हैं। रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा के उदय होने से पति-पत्नी में प्रेम और सुख-समृद्धि बढ़ेगी, इसलिए रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की पूजा-अचज़्ना विशेष फलदायी है। पूजा का शुभ मुहूतज़् 5.40 से 6 .47 बजे तक रहेगा, लेकिन चंद्रमा को अघ्यज़् 7.58 बजे के बाद देना शुभकारी होगा।
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