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ग्वालियर

लैब टेक्नीशियन ने जज बनकर कमिश्रर को किया फोन, फिर आई शामत

खुद को जबलपुर का जज बताकर संभागीय आयुक्त एमबी ओझा को फोन करके रिवॉल्वर का लाइसेंस पास कराने की सिफारिश करने वाला नकली जज पकड़ा गया। शनिवार को छोटा भाई बनकर उनके दफ्तर पहुंचा तो पहले से तैयार बैठी क्राइम ब्रांच की टीम ने दबोच लिया। पुलिस ने लाइसेंस की जानकारी जुटाई तो उसके छोटे भाई ने अप्लाई किया हुआ है

ग्वालियरJan 12, 2020 / 12:50 am

रिज़वान खान

crime

लैब टेक्नीशियन ने जज बनकर कमिश्रर को किया फोन, फिर आई शामत

ग्वालियर. खुद को जबलपुर का जज बताकर संभागीय आयुक्त एमबी ओझा को फोन करके रिवॉल्वर का लाइसेंस पास कराने की सिफारिश करने वाला नकली जज पकड़ा गया। शनिवार को छोटा भाई बनकर उनके दफ्तर पहुंचा तो पहले से तैयार बैठी क्राइम ब्रांच की टीम ने दबोच लिया। पुलिस ने लाइसेंस की जानकारी जुटाई तो उसके छोटे भाई ने अप्लाई किया हुआ है।
एसपी नवनीत भसीन ने बताया सात जनवरी को कमिश्नर एमबी ओझा के मोबाइल पर 9425108965 से कॉल आया। कॉल रिसीव करने पर बोला मैं जस्टिस विवेक शर्मा बोल रहा हूं। उच्च न्यायालय जबलपुर में पदस्थ हूं। मेरे छोटे भाई का रिवॉल्वर का लाइसेंस पास करा देना। फिर बोला भाई शनिवार को आकर मिलेगा। बातचीत का ढंग देखकर कमिश्नर को शक हुआ। उन्होंने जबलपुर पता किया तो मालूम चला विवेक नाम का कोई जज नहीं है। उनका शक यकीन में बदल गया। उन्होंने एसपी नवनीत भसीन को पत्र लिखकर पूरे मामले से अवगत कराया। पुलिस जांच में जुट गई। जैसा कि उसने कहा था कि शनिवार को छोटे भाई को भेजेगा। पुलिस की टीम भी वहां पहुंच गई। जैसे ही वह आया तो पुलिस ने दबोच लिया। वह खुद ही छोटा भाई बनकर पहुंचा था। पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह महादजी नगर चिरवाई नाका निवासी अजय शंकर त्यागी पुत्र रामस्वरूप है, जो कैंसर हॉस्पिटल मे लैब टैक्नीशियन है, जबकि उसका छोटा भाई जेएएच मे कंपाउंडर है। क्राइम ब्रांच की टीम ने आइटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।
फोन नहीं उठा तो जज बताकर मैसेज भेजा
अजय ने कमिश्नर को फोन किया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया। बाद में उन्हेे मैसेज किया कि वह जबलपुर से जज विवेक शर्मा है। इसके बाद उसने दोबारा कॉल करके लाइसेंस की सिफारिश की।
एक साल की कॉल डिटेल खंगालेगी पुलिस
पुलिस के हाथ आने पर भी वह घबराया हुआ नहीं था। उसके आत्मविश्वास को देखकर पुलिस को यकीन है कि यह कई लोगों को पागल बना चुका होगा। इसलिए पुलिस इसके मोबाइल नंबर की एक साल तक की कॉल डिटेल निकाल रही है। पुलिस उनसे पूछेगी कि इसकी किस संबध में बातचीत हुई है।

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