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ग्वालियर

हंसी के बम फूटे तो कहीं चली हास्य की फुलझड़ी, वीडियो में देखे कवियों ने कैसे गुदगुदाया

कवि सम्मेलन की शुरूआत आगरा से आए कवि रमेश मुस्कान ने की। उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हालत पर कटाक्ष करते हुआ कि देश ने जिनको समाजवादी समझा वे भी परिवारवादी निकले। बेरोजगारी पर भी रमेश मुस्कान ने खूब चुटकी ली।

ग्वालियरOct 27, 2016 / 02:33 pm

Shyamendra Parihar

hasya kavi sammelan

hasya kavi sammelan

ग्वालियर। ग्वालियर में बीती शाम कुछ खास रही। पत्रिका हास्य कवि सम्मेलन में हास्य के धुरंधरों ने लोगों को खूब हंसाया और सभी के मन पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। कवि सम्मेलन की शुरूआत आगरा से आए कवि रमेश मुस्कान ने की। उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीतिक हालत पर कटाक्ष करते हुआ कि देश ने जिनको समाजवादी समझा वे भी परिवारवादी निकले। बेरोजगारी पर भी रमेश मुस्कान ने खूब चुटकी ली।

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जिस पर श्रोताओं की खूब तालियां मिलीं। इसके बाद दिल्ली से आए कवि महेन्द्र अजनबी ने मंच संभाला। उन्होंने अखबार में छपी खबरों की हेडलाइन मिला देने से उत्पन्न हास्य के बार’ में बताया। जिससे श्रोता लोट पोट हो गए। इसके बाद कानपुर से आए कवि प्रमोद तिवारी ने मोर्चा संभाला। आत्मा, लेकिन इस आत्मा का मालिक परमात्मा ही है। आखिरी में मंच का संचालन कर रहे कवि संपत सरल ने छोटे छोटे छंद और कविताओं से श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया।

हास्य कवि सम्मेलन सुनने के लिए क्लिक करें-Patrika.com/gwalior

दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई, इस दौरान मंच का संचालन साहित्यकार पवन करण ने किया। इस अवसर पर विमल पान मसाला से राजीव गुप्ता एवं अमित चौरसिया, दीनदयाल इंडस्ट्रीज से मनीष मिश्रा, आईटीएम से ओमवीर सिंह, व्हीआईएसएम के डायरेक्टर सुनील राठौर, पत्रिका के स्थानीय संपादक अमित मंडलाई, पत्रिका के यूनिट हेड अशोक अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

संपत सरल ने व्यंग से हंसाया
भारतीय सेना ने दुश्मन की सीमा क्या लांघी
भारतीय राजनीति सारी सीमाएं लांघ गई।
विकास का एजेंडा कह कर आए थे
कुर्सी मिलते ही एजेंडे के विकास में लग गए। 
अरबों का आईपीएल उसी देश में खेला जाता है, जिस देश में करोड़ों बीपीएल बसते हैं।
वो भी क्या दिन थे जब घड़ी एकाध के पास होती थी और समय सबके
आज की तरह नहीं जब फेसबुक पर 5 हजार फ्रेंड और परिवार में बोलचाल बंद है।

तुम करवाचौथ भूल बैठी डे वेलेंटाइन मनाती हो.. : रमेश मुस्कान
तुम क्लॉक अलार्म से न जागो
मैं कॉक बान से जगता हूं। 
तुम डिस्को की धुन पर नाचो, 
मैं राम नाम ही जपता हूं।
तुम डेडी को अब डैड बुलाती हो,
मम्मी को मॉम बुलाती हो।
तुम करवाचौथ भूल बैठी
डे वेलेंटाइन मनाती हो।

महेन्द्र अजनबी का भाया अंदाज
खाली-खाली डीजल टंकी,
तेल चाहिए
आज मेरे देश को पटेल चाहिए
हम भूल गए हैं आपस का प्यार
हम भूल गए हैं मेहमान का सत्कार
आए दिन टूटने वाले घरवार
हम भूल गए हैं संयुक्त परिवार।
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