यहां दो दर्जन से अधिक कॉलोनियां बसाई गई हैं। यहां कॉलोनाइजर्स ने पटवारी-आरआइ सहित राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से शासकीय भूमियों पर भी प्लॉट काट दिए हैं। कुछ कॉलोनियों में बसाहट भी हो गई है, अब अगर इन क्षेत्रों में तुड़ाई हुई तो जिन्होंने अपनी जमा पूंजी लगाकर मकान बनाए हैं, उनका नुकसान होगा।
मुख्य मार्ग के किनारे प्रतिष्ठित स्कूल के सामने लगभग आठ बीघा जमीन को कागजों में हेरफेर कर सरकारी से निजी किया गया है। पूर्व में यह जमीन किसी महिला के नाम से थी, जो शासकीय दर्ज हुई थी, बाद में यहां पदस्थ रहे एक आरआइ ने चालबाजी कर शासकीय भूमि को दोबारा से निजी दर्शाकर अपने नजदीकियों के नाम खसरे में दर्ज करवा दिए।
विक्की फैक्ट्री से मंशापूर्ण माता मंदिर तक 135 अतिक्रमण हैं। लगभग 50 करोड़ रुपए की यह भूमि सरकारी है और बहुत उपयोगी है। कोर्ट का आदेश होने के बाद भी अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने कभी गंभीरता नहीं दिखाई। सूत्रों की मानें तो इस बेशकीमती जमीन पर कब्जा कराने के लिए बाकायदा गिरोह काम कर रहा है।
पुरानी छावनी
मोतीझील पहाड़ी के नाम से मशहूर और फल मंडी के पीछे स्थित दो पहाडिय़ों पर बसाए गए कृष्णानगर और रहमत नगर पूरी तरह से अवैध हैं। कोर्ट के आदेश के बाद यहां से अतिक्रमण हटाए गए थे, लेकिन बाद में ध्यान न देने पर अब दोगुने मकान बन गए हैं। पहाड़ी की सरकारी जमीन को नजदीकी गांव गंगा मालनपुर के दो लोगों के नाम सामने आए थे, लेकिन इन पर प्रशासनिक स्तर पर सख्ती नहीं अपनाई गई।
– शहर में सभी जगह हमारी नजर है, पड़ताल जारी है। कार्रवाई चरणबद्ध तरीके से हो रही है, शासकीय भूमियों पर जहां भी कब्जे हैं, उन्हें हटाने के लिए हम कार्रवाई कर रहे हैं। कोई भी जगह छूटेगी नहीं।
अनुराग चौधरी, कलेक्टर