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ग्वालियर

अभिषेक के बाद भगवान लक्ष्मी नारायण को लगा गजक का भोग

लक्ष्मी नारायण मंदिर पर मनी षटतिला एकादशी

ग्वालियरJan 22, 2020 / 12:35 am

राजेंद्र ठाकुर

अभिषेक के बाद भगवान लक्ष्मी नारायण को लगा गजक का भोग

अभिषेक के बाद भगवान लक्ष्मी नारायण को लगा गजक का भोग

ग्वालियर. हर बार की भांति इस वर्ष भी जनकगंज स्थित श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर में आज षटतिला एकादशी मनाई गई जिसमें प्रातः काल भगवान श्री लक्ष्मी नारायण का अभिषेक किया गया l उसके बाद भक्तों द्वारा लाई गई गजक प्रभु को अर्पित की गई साथ ही तिल से बने हुए तमाम व्यंजन से श्री लक्ष्मी नारायण को अर्पित की l
गौरतलब है कि मार्च के महीने में तिल का दान करने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है आज के दिन महिलाएं षटतिला एकादशी का व्रत रखती है और साल भर में यह एक ऐसी एकादशी है जिसमे के तिल से बने व्यंजन खाए जाते हैं जबकि साल भर पढ़ने वाली एकादशी में तिल खाना निषेध होता है l
आज इस अवसर पर आज बड़ी संख्या में भक्तों ने पहुंचकर श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर पर भजन कीर्तन कर एक दूसरे को गायक का प्रसाद वितरण किया l साथ ही षटतिला एकादशी का महत्व बताते हुए मंदिर के पुजारी श्री राघवेंद्र लव्हाटे ने इस व्रत की कथा सुनाते हुए बताया कि एक ब्राह्मणी थी वह सभी प्रकार के व्रत और तपस्या करती थी मगर वह किसी को दान नहीं देती थी तो भगवान ने सोचा कि यह स्वर्ग लोक आएगी तो यहां इनका बसेरा तो मिल जाएगा l मगर यह अगर दान नहीं करेगी तो अपना जीवन यापन कैसे करेगी तो भगवान ने कहा मैं इसका पुन्य कमाने धरती पर जाता हूं और इससे कुछ दान मांगूंगा भगवान धरती पर आए और उससे दान मांगा उसने कहा कि मैं किसी को दान नहीं देती हूं तो भगवान ने कहा मैं तो तुमसे दान लेकर ही रहूंगा l उसने एक मिट्टी का ढेला उठाकर भगवान को दे दिया और कहा कि यही मेरा दान समझ कर रख लो कुछ समय बाद जब वह मर क स्वर्ग लोक पहुंची तो वहां उसको घर तो मिला मगर उस घर में उसे और कुछ नहीं मिला फिर वह भगवान के पास पहुंची और बोली हे भगवान मेरे घर में तो कुछ भी नहीं है l पूरा घर खाली पड़ा हुआ है में कैसे अपना जीवन यापन करूंगी तो भगवान ने कहा कि तुम्हारे पास दो स्त्रीय आएंगी l तुम उनसे तक्षशिला एकादशी का महत्व जान लेना और जब तक तक्षशिला एकादशी का महत्व जानना लो तब तक दरवाजा नहीं खोलना भगवान के जाने के बाद वह दरवाजे लगा कर बैठ गई कुछ समय बाद घर पर दो स्त्रीय पहुंची वह जानने की कोशिश करने लगे कि वह कौन है जिसने इतने सारे व्रत करें तोहार करें पूजा की और उसके घर में कुछ नहीं है दोनों स्त्रियों ने जब दरवाजा खटखटाया तो अंदर से आवाज आई कि दरवाजा मैं तभी खोलूंगी जब आप मुझे षटतिला एकादशी का महत्व समझाइए उन दोनों स्त्री होने उस ब्राह्मणी को षटतिला एकादशी का महत्व समझाते हुए कहा कि इस एकादशी पर तिल का दान करना चाहिए तिल का भोग लगाना चाहिए और तिल के बने व्यंजनों से उपवास खोलना चाहिए जबकि पूरे वर्ष ऐसा कोई व्रत नहीं है जिसमें तिल का प्रयोग होता हो मगर यह एकादशी पर ही तिल का उपयोग माना गया है उसके बाद ही अंदर से ब्राह्मणी ने दरवाजा खुलते ही उन्होंने देखा कि इसके चरित्र बहुत ही विशाल और तेज है उन्होंने देखा कि वह सभी स्त्रियों से अलग ही है कथा सुनने के बाद उस ब्राह्मणी ने षटतिला एकादशी का व्रत कर तिल का दान किया तो उसका घर धन धन से भर गया यही उस स्त्री को भगवान ने वरदान दिया था l

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