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दरअसल मिरघान के शासकीय माध्यमिक विद्यालय का भवन जर्जर स्थिति मेंं है। इसलिए वहां बच्चों की कक्षाएं खुले में लगाई जा रही हैं। 3 जनवरी को जब जिला शिक्षा अधिकारी एसके जाधव निरीक्षण पर पहुंचे तो भवन की स्थिति देखकर चिंता जाहिर की। जब उन्हें पता चला कि उसी परिसर में स्थित प्राइमरी स्कूल के लिए कुछ समय पहले अतिरिक्त कक्ष बनाए गए थे और वे खाली पड़े हुए हैं।
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तो जिला शिक्षा अधिकारी ने माध्यमिक स्कूल के प्रधान अध्यापक को उन कमरों का उपयोग कक्षाओं के लिए करने को कहा, लेकिन इस निर्देश पर अमल नहीं हुआ। तो जिला शिक्षा अधिकारी ने इस संबंध में लिखित निर्देश भी जारी किया, लेकिन स्कूल के हेड मास्टर नए कमरों में कक्षाएं नहीं लगाईं। उल्टे वे मंगलवार को मप्र शिक्षक संघ के प्रतिनिधि मंडल के साथ डीईओ से मिलने जा पहुंचे, ताकि कक्षाओं को अतिरिक्त कक्ष में शिफ्ट न करना पड़े, लेकिन डीईओ ने उन्हें खूब फटकारा। उन्होंने कहा कि कक्षाओं की शिफ्टिंग में कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी।
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रिकॉर्ड भी नहीं दिखाया था हेडमास्टर ने
कुछ दिन पहले जब डीईओ एसके जाधव मिरघान के शासकीय मिडिल स्कूल में निरीक्षण के लिए पहुंचे तो हेडमास्टर राजेन्द्र पचौरी ने उन्हें रिकॉर्ड भी नहीं दिखाया। हेडमास्टर ने उनसे कहा कि रजिस्टर में अत्यंत गोपनीय जानकारी है, इसलिए वे किसी को दिखा नहीं सकते। सूत्रों की मानें तो हेडमास्टर व स्कूल स्टाफ के अन्य मेंबर निजी कारणों से मिडिल स्कूल की कक्षाओं को प्रायमरी स्कूल के अतिरिक्त कक्षों में शिफ्ट नहीं कर रहे हैं। खास बात यह कि इस आशय का आदेश 28 मार्च 2016 को डीपीसी ने भी जारी किया था।