केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के नियम के मुताबिक एक से दूसरे चिड़ियाघर में वन्य प्राणी के बदले दूसरा वन्य प्राणी दिया जाता है, लेकिन यह मामला पशुपालन विभाग का होने से निगम को भुगतान करना होगा। चिड़ियाघर प्रबंधन ने बताया कि वर्तमान में गांधी प्राणी उद्यान में सिर्फ एक मादा शुतुरमुर्ग ही बचा है। ऐसे में शुतुरमुर्गं आने से इनकी संख्या बढ़ाने उम्मीद की जा रही है। निगमायुक्त द्वारा चैन्नई व दिल्ली भेजे प्रस्ताव को अनुमति मिल चुकी है, ऐसे में निगम आचार संहिता हटते ही अगस्त में शुतुरगुर्ग को ग्वालियर लाएगा।
गांधी प्राणी उद्यान में करीब पांच वर्ष पहले चार शुतुरमुर्ग लाए जा रहे थे। इसमें एक की बीच रास्ते में मौत हो गई थी और तीन शुतुरमुर्ग को गांधी प्राणी उद्यान में लाया गया था। लेकिन बाद में भी दो शुतुरमुर्ग की मौत हो गई थी। ऐसे में यहां अब सिर्फ एक ही मादा शुतुरमुर्ग बचा हुआ है और इसकी उम्र भी चार वर्ष के करीब है। ऐसे में एक नर शुतुरमुर्ग की जरूरत काफी लंबे समय से की जा रही थी।
भुगतान करने पर मिलता है शुतुरमुर्ग
चैन्नई स्थित पशुपालन विभाग द्वारा शुतुरमुर्गों का कुनबा बढ़ाने की दिशा में काम किया जा रहा है। यहां से चिड़ियाघर के लिए अंडे, बच्चे और व्यस्क शुतुरमुर्ग दिए जाते हैं और इसके बदले में संबंधित से भुगतान लिया जाता है। हालांकि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के नियम में एक दूसरे से चिड़ियाघर वन्य प्राणी को बदल सकते हैं। इसके लिए वन्य प्राणी के बदले दूसरा वन्य प्राणी दिया जाता है, लेकिन यह मामला पशुपालन विभाग का होने से नगर निगम को 2.5 लाख रुपए का भुगतान करना होगा।
अभी मादा है
चिड़ियाघर में अगस्त माह में मादा शुतुरमुर्ग को चैन्नई के पशुपालन विभाग से ढाई लाख रुपए में लाया जाएगा। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। अभी मादा शुतुरमुर्ग चिड़ियाघर में है।
गौरव परिहार, जू क्यूरेटर गांधीप्राणी उद्यान