scriptमनुष्य दु:ख में इतना दु:खी हो जाता है ंिक उसे सुख का आभास तक भी नहीं हो पाता | Man becomes so sad in sorrow that he cannot even feel the pleasure. | Patrika News
ग्वालियर

मनुष्य दु:ख में इतना दु:खी हो जाता है ंिक उसे सुख का आभास तक भी नहीं हो पाता

– दानाओली चंपाबाग जैन मंदिर में धर्मसभा में मुनि विहर्ष सागर बोले

ग्वालियरFeb 28, 2020 / 10:49 pm

Narendra Kuiya

मनुष्य दु:ख में इतना दु:खी हो जाता है ंिक उसे सुख का आभास तक भी नहीं हो पाता

मनुष्य दु:ख में इतना दु:खी हो जाता है ंिक उसे सुख का आभास तक भी नहीं हो पाता

ग्वालियर. सुख-दु:ख जुड़वा भाई के समान है, जो सदैव एक-दूसरे के साथ ही रहते हैं। यदि आप एक की अंगुली थामते हैं तो दूसरा तुम्हारे हाथ की कुंडली अवश्य पकड़ लेता है। इस तरह सुख-दु:ख एक साथ चलते रहते हैं, पर हम अपनी आंखों पर लगे पर्दे के कारण इस अंतर को, भेद को समझ नहीं पाते है। विशेष रूप से दु:ख को। मनुष्य दु:ख में इतना दु:खी हो जाता है कि उसे सुख का आभास तक भी नहीं हो पाता है तथा वह सुख की तलाश करने लगता है। उक्त उद्गार मुनि विहर्ष सागर ने शुक्रवार को दाना ओली स्थित चंपाबाग जैन मदिर में धर्मसभा में व्यक्त किए। इस मौके पर मुनि वियजेश सागर एवं क्षुल्लक विश्वोत्तर महाराज मौजूद थे।
मुनि विहर्ष सागर ने कहा ंिक संसार में कतिपय ऐसे उदाहरण है जबकि सामान्य रूप से दु:खी दिखाई देने वाले मानसिक रूप से अत्यधिक सुखी होते हैं-यथा प्रेम दीवानी मीरा ने राजा द्वारा मारने के लिए भगवान का प्रसाद रूप भेजा विष का प्याला बड़ी प्रसन्नता से पीया और अमर हो गई। भगवान राम के साथ वन में सीता दु:खों, अभावोपरान्त भी बड़ी सुखी थी। इसके विपरीत अन्यायी राजा कंस के पास भौतिक सुख-सुविधाओं का अम्बार होते भी कृष्ण से मृत्यु होने के कारण वह मन ही मन बड़ा ही दु:खी रहता था।
श्रद्धालुओं ने पाद प्रक्षालन किया
मुनि विहर्ष सागर, विजयेश सागर महाराज नया बाजार स्थित दिगबर जैन मंदिर पहुंचे। मंदिर पहुंचने पर जैन समाज के लोगों ने मुनि के पाद प्रक्षालन कर आरती उतार कर आर्शीवाद लिया। दोनों मुनि ने भगवान जिनेंद्र के दर्शन ंिकए।
पंच कल्याणक तैयारियों को लेकर बैठक शनिवार को
15 से 20 मार्च तक होने वाले पंच कल्याणक एवं गजरथ महोत्सव के आयोजन की तैयारियों को लेकर 29 फरवरी को दोपहर दो बजे से सकल जैन समाज की बैठक नई सडक़ स्थित चंपाबाग धर्मशाला में रखी गई है।

Home / Gwalior / मनुष्य दु:ख में इतना दु:खी हो जाता है ंिक उसे सुख का आभास तक भी नहीं हो पाता

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो