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ग्वालियर

यह युवक 25 साल शासन से केस लड़ा और जीता भी,मरने के बाद भी नहीं मिली पेंशन,अब कोर्ट ने दिए ये निर्देश

हाईकोर्ट ने 2010 में पेंशन देने के आदेश दिए। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा,लेकिन आज तक उन्हें पेंशन नहीं मिली

ग्वालियरNov 29, 2017 / 10:04 am

monu sahu

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ग्वालियर। 29 साल पहले १९८८ में पंचायत सचिव से हरिशंकर शर्मा रिटायर्ड हो गए। १९ साल तक विभाग के चक्कर काटे,शासन ने फिर भी पेंशन नहीं दी तो २००७ में हाईकोर्ट आए। हाईकोर्ट ने २०१० में पेंशन देने के आदेश दिए। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा,लेकिन आज तक उन्हें पेंशन नहीं मिली।वे पेंशन के इंतजार में दुनिया भी छोड़ गए। उनकी पत्नी प्रेमा शर्मा (८२) ने जब अवमानना याचिका लगाई तब न्यायालय ने शासन की ओर से उपस्थित डायरेक्टर पंचायत एवं सर्विस डिपार्टमेंट शमीमुद्दीन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि तीन दिन में पेंशन का भुगतान नहीं हुआ तो कोर्ट सजा देने के लिए स्वतंत्र हैं।
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न्यायालय को आदेश का पालन कराना आता है।न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति एसके अवस्थी की युगलपीठ ने प्रेमा बाई के अधिवक्ता डॉ. अनिल शर्मा द्वारा न्यायालय से कहा गया कि आखिर शासन कितना और समय आदेश का पालन के लिए लेगा,तब न्यायालय ने शासन को यह फटकार लगाई।
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हुआ यूं की शासन की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता विशाल मिश्रा ने आदेश का पालन करने के लिए एक माह का समय दिए जाने का निवेदन किया, शासन ने जवाब में कहा कि हमने पेंशन के लिए वित्त विभाग से अनुमति मांगी है इसलिए एक माह का समय लग सकता है। इस पर जब न्यायालय ने कड़ी फटकार लगाई तो शासन ने कहा आठ दिन का समय दें, तब कोर्ट ने तीन दिन का समय दिया।
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1988 में सेवानिवृत हुए थे हरिशंकर शर्मा
विदिशा में पंचायत विभाग में हरिशंकर शर्मा को १९५६ में ग्रुप मंत्री के रूप में पदस्थ किया था। फरवरी ८७ में उनको पंचायत सचिव बनाया। १९८८ में वे सेवानिवृत्त हो गए। विभाग ने पेंशन देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि वे पेंशन के नियमों में नहीं आते हैं। वे लगातार चार साल प्रयास करते रहे, जब पेंशन नहीं मिली तब उन्होंने १९९२ में उच्च न्यायालय में याचिका पेश की।
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उच्च न्यायालय ने २ दिसंबर २०१० को उनकी पूर्ण सेवा अवधि को जोड़कर उन्हें पेंशन प्रदान के आदेश दिए। इसके खिलाफ शासन ने अपील की, जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर कहा कि याचिकाकर्ता ८० साल के हैं उन्हें दी जाने वाली राशि पर १२ प्रतिशत का ब्याज भी दिया जाए।
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ब्याज अधिकारी की जेब से अदा करने के आदेश दिए। आदेश के खिलाफ शासन ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की यहां भी शासन को पराजय हुई, लेकिन उसे फिर भी पेंशन नहीं मिली। इस बीच पेंशन मिलने का इंतजार करते-करते १७ दिसंबर २०१३ को हरिशंकर शर्मा का निधन हो गया। तब उनकी पत्नी प्रेमा शर्मा ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका प्रस्तुत की, जिस पर न्यायालय ने उक्त आदेश दिए।
हमें न्याय की उम्मीद
प्रेमा शर्मा के पुत्र देवेंद्र ने कहा कि पिताजी पेंशन के लिए लड़ाई लड़ते-लड़ते चले गए, लेकिन हमें अभी भी उम्मीद है कि हमारे साथ न्याय होगा।

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