यह भी पढ़े :
VIDEO : इस्लामपुरा में ताबड़तोड़ फायरिंग, प्रधान आरक्षक ने कार्रवाई से पहले कहा बंदूक साफ कर लेना, फायरिंग के सबूत मिट जाए न्यायालय को आदेश का पालन कराना आता है।न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति एसके अवस्थी की युगलपीठ ने प्रेमा बाई के अधिवक्ता डॉ. अनिल शर्मा द्वारा न्यायालय से कहा गया कि आखिर शासन कितना और समय आदेश का पालन के लिए लेगा,तब न्यायालय ने शासन को यह फटकार लगाई।
यह भी पढ़े :
STUDENT ELECTION 2017: 120 कॉलेजों में दोनों संगठनों का एक भी प्रत्याशी नहीं हुआ यूं की शासन की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता विशाल मिश्रा ने आदेश का पालन करने के लिए एक माह का समय दिए जाने का निवेदन किया, शासन ने जवाब में कहा कि हमने पेंशन के लिए वित्त विभाग से अनुमति मांगी है इसलिए एक माह का समय लग सकता है। इस पर जब न्यायालय ने कड़ी फटकार लगाई तो शासन ने कहा आठ दिन का समय दें, तब कोर्ट ने तीन दिन का समय दिया।
यह भी पढ़े :
VIDEO: अस्पताल की चौखट पर दिया बच्ची को जन्म, आधे घंटे तक फर्श पर पड़े रहे मां-बेटी 1988 में सेवानिवृत हुए थे हरिशंकर शर्माविदिशा में पंचायत विभाग में हरिशंकर शर्मा को १९५६ में ग्रुप मंत्री के रूप में पदस्थ किया था। फरवरी ८७ में उनको पंचायत सचिव बनाया। १९८८ में वे सेवानिवृत्त हो गए। विभाग ने पेंशन देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि वे पेंशन के नियमों में नहीं आते हैं। वे लगातार चार साल प्रयास करते रहे, जब पेंशन नहीं मिली तब उन्होंने १९९२ में उच्च न्यायालय में याचिका पेश की।
यह भी पढ़े :
पति की हत्या कर प्रेमी के साथ रोमांस कर रही थी महिला,कपल की कहानी सुन आप भी रह जाएंगे हैरान उच्च न्यायालय ने २ दिसंबर २०१० को उनकी पूर्ण सेवा अवधि को जोड़कर उन्हें पेंशन प्रदान के आदेश दिए। इसके खिलाफ शासन ने अपील की, जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर कहा कि याचिकाकर्ता ८० साल के हैं उन्हें दी जाने वाली राशि पर १२ प्रतिशत का ब्याज भी दिया जाए।
यह भी पढ़े :
Ex BF से शादी के बाद रिलेशन बनाने से प्रेमिका ने किया मना,प्रेमी ने न्यूड वीडियो कर दी वायरल ब्याज अधिकारी की जेब से अदा करने के आदेश दिए। आदेश के खिलाफ शासन ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की यहां भी शासन को पराजय हुई, लेकिन उसे फिर भी पेंशन नहीं मिली। इस बीच पेंशन मिलने का इंतजार करते-करते १७ दिसंबर २०१३ को हरिशंकर शर्मा का निधन हो गया। तब उनकी पत्नी प्रेमा शर्मा ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका प्रस्तुत की, जिस पर न्यायालय ने उक्त आदेश दिए।
हमें न्याय की उम्मीद
प्रेमा शर्मा के पुत्र देवेंद्र ने कहा कि पिताजी पेंशन के लिए लड़ाई लड़ते-लड़ते चले गए, लेकिन हमें अभी भी उम्मीद है कि हमारे साथ न्याय होगा।