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ग्वालियर

1.32 लाख हैक्टेयर से ज्यादा बीहड़ क्षेत्र, उपचार से सरकार ने खींचे हाथ

रवींद्र सिंह कुशवाह, मुरैना. चंबल संभाग के तीनों जिलों में फैले करीब १.६२ लाख हैक्टेयर बीहड़ भूमि के उपचार का प्रस्ताव चार साल से अधिक समय बाद भी धरातल पर साकार होता नजर नहीं आ रहा है। बीहड़ भूमि को समतल कर किसानों को आवंटित करके खेती और बागवानी के उपयोग में लेने का प्रस्ताव है। बीहड़ भूमि के उपचार पर अब १६०० करोड़ रुपए से ज्यादा का व्यय आने का अनुमान है। पहले इसके लिए ११०० करोड़ रुपए का प्रस्ताव था।

ग्वालियरFeb 11, 2021 / 12:33 am

Vikash Tripathi

1.32 लाख हैक्टेयर से ज्यादा बीहड़ क्षेत्र, उपचार से सरकार ने  खींचे हाथ

1.32 लाख हैक्टेयर से ज्यादा बीहड़ क्षेत्र, उपचार से सरकार ने खींचे हाथ


अक्टूबर २०१६ में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री रहते हुए यह घोषणा की थी। बाद में इसका प्रस्ताव तैयार होना था। लेकिन राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के अतंर्गत स्थापित आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र मुरैना को इसका प्रस्ताव बनाना था। सरकार से कोई स्पष्ट निर्देश न मिल पाने से प्रस्ताव तैयार करने में विलंब हो गया। पहले कोटा से प्रस्ताव बनवाने का प्रयास किया गया, लेकिन बाद में मुरैना से ही इस पर अध्ययन किया गया। करीब चार माह पूर्व बने प्रस्ताव में बीहड़ भूमि के उपचार पर १६०५.७६ करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है। इससे चंबल संभाग के तीनों (मुरैना, भिण्ड और श्योपुर) में उपलब्ध बीहड़ भूमि का उपचार किया जाना है। इसमें ३०९० हैक्टेयर वह भूमि भी शामिल है जो चंबल एक्सप्रेस-वे, लिए प्रस्तावित जमीन भी शामिल है।
किस प्रस्ताव पर कितने खर्च का प्रस्ताव

भूमि के कटाव रोकना- भूमि उपचार के साथ वनस्पति को पर काम करने का प्रस्ताव है। इस पर ७५५३२ लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है।
-कृषि व गैर कृषि योग्य भूमि को उत्पादन के योग्य बनाने पर ६२९४८ लाख रुपए खर्च हो सकते हैं।

-आजीविका के साधन मजबूत करने के प्रयासों पर ७१६९ लाख रुपए का प्रावधान करने की जरूरत है।
-क्षमता वृद्धि के लिए उत्कृष्ट केंद्र स्थािपत करने पर ७९६५ लाख रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है।

-वैज्ञानिक कार्ययोजना, निगरानी आदि के लिए जरूरी इंतजाम करने पर भी ७०१० लाख रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है।
४० से ६० हजार प्रति हैक्टेयर आय बढ़ेगी

बीहड़ भूमि के उपचार से ४० से ६० हजार रुपए हैक्टेयर वार्षिक आय बढ़ सकती है। औषधीय, सब्जी एवं सुगंधित फूलों की खेती करने पर यही आय एक लाख से १.५ लाख रुपए तक सालाना आय बढ़ सकती है।
फैक्ट फाइल

५०१६८६ हैक्टेयर भौगोलिक क्षेत्रफल है मुरैना जिले का।

४३६०८ हैक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र है जिले में।

७८१६ हैक्टेयर संरक्षित वन क्षेत्र उपलब्ध है जिले में।

४१०२९ हैक्टेयर भूमि कृषि के लिए उपलब्ध नहीं है।
८९२६० हैक्टेयर ऊसर एवं गैर मुमकिन भूमि है जिले में। १८९८० हैक्टेयर चारागाह के लिए उपलब्ध भूमि है।

७०९३ हैक्टेयर नई और पुरानी पड़त भूमि है जिले में।

जिले में किसानों की स्थिति
१७३०८६ सीमांत किसानों के पास है एक हैक्टेयर तक कृषि भूमि।

५४५३४ लघु कृषकों के पास एक से दो हैक्टेयर कृषि भूमि है।

२६३२९ लघु मध्यम किसान परिवार हैं जिले में।

७३११ मध्यम श्रेणी के किसान हैं मुरैना जिले में।
३८९ कृषक जिले में अन्य श्रेणियों के हैं।

२६१६४९ कुल किसान परिवार उपलब्ध हैं मुरैना जिले में।

चंबल के बीहड़ भूमि के उपचार का प्रस्ताव कुछ माह पहले प्रस्तुत कर दिया गया है। फिलहाल कोई आगे की सूचना प्राप्त नहीं हुई है। बीहड़ भूमि प्रबंधन किसानों की आय बढ़ाने मे मददगार साबित होगा।
डॉ. वायपी सिंह, सह संचालक, आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र, मुरैना।

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