जेल अधिकारी कहते हैं कि सलाखों में हर दिन 10-15 नए बंदी रोज आते हैं। पुलिस इन अपराधियों को जेल भेजने से पहले उनका कोरोना टेस्ट तो कराती है, लेकिन ज्यादातर बंदियों की जांच रिपोर्ट उसी दिन नहीं आती। बंदी कोरोना पॉजिटिव हैं या निगेटिव उनके सलाखों के अंदर आने के बाद पता चलता है। तब तक इन बंदियों को जेल के आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता है, क्योंकि इन बंदियों को अगर बैरक में ले जाने पर दूसरे बंदियों के कोरोना संक्रमित होना का खतरा रहता है। जिन बंदियों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आती है उसे आइसोलेनश वार्ड या जेएएच अस्पताल में भेजा जाता है। निगेटिव आने वालों को बैरक में शिफ्ट किया जाता है। उसके बावजूद नए बंदियों के जेल में आने से संक्रमण का सबसे ज्यादा डर बना हुआ है।
प्रदेश के दूसरे जेल बने चुके हॉट स्पाट : जेल अधिकारियों और बंदियो में सलाखों के अंदर कोरोना संक्रमण का डर इसलिए भी बना है, क्योंकि प्रदेश की भोपाल और इंदौर जेल में कई बंदी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। सलाखों के अंदर कोरोना संक्रमण फैलेगा तो बंदियों के साथ जेलकर्मी भी उसकी चपेट में आते हैं।
जेल में पिछले साल बंदियों के बीच कोरोना विस्फोट हुआ था, उससे जेल मुख्यालय तक हड़कंप मच गया था। जांच के लिए भोपाल से जेल अधिकारियों की टीम ने आकर जेल में उन खामियों को खंगाला था जिनकी वजह से संक्रमण बढ़ा था। इसमें सामने आया था कि जेल में बंदियों के शौचायलय और स्नानागार एक ही इस्तेमाल कर रहे थे। यह बड़ा कारण था जिसकी वजह से जेल में कोरोना संक्रमण फैला थ। जेल अधिकारी कहते हैं कि इस बार उन सभी खामियों को दूर किया गया है। बंदियों को कोरोना से बचाव के लिए जरूरी डाइट के अलावा काढ़ा और गर्म पानी दिया जा रहा है।
इनका कहना है
बंदियों को कोरोना से बचाने के लिए गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है। बंदियों का वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है। फिलहाल जेल में करीब 3200 से ज्यादा बंदी हैं।
मनोज साहू जेल अधीक्षक