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ग्वालियर

mp budget 2019 : बजट में ये मुद्दे हो शामिल,लोगों ने की मांग

mp budget 2019 : बजट में ये मुद्दे हो शामिल,लोगों ने की मांग

ग्वालियरFeb 21, 2019 / 06:40 pm

monu sahu

Singrauli: Mining College hopes, Medical will get budget

Singrauli: Mining College hopes, Medical will get budget

ग्वालियर। मप्र सरकार का पहला बजट इसी महीने आने वाला है। शहरवासियों को इस बजट के काफी उम्मीद है। ग्वालियर जिला विकास के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है। वैसे तो कई क्षेत्रों में काम होने की काफी जरूरत है लेकिन पांच ऐसी समस्याएं हैं जिनका समाधान होना बहुत ही जरूरी है। डबरा विधानसभा क्षेत्र से प्रदेश की महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी सुमन से अब डबरा के लोगों ने मांग की है कि वह बजट में इन मुद्दों को जरूर शामिल करें जिससे शहर का विकास हो सके।
कन्या महाविद्यालय खुले तो बने बात
शहर में एकमात्र महाविद्यालय है। कई परिवारों की बेटियां छात्रों के बीच अध्ययन करने में अपने आपको असहज महसूस करती है। इस लिहाज से यहां कन्या महाविद्यालय की स्थापना होना आवश्यक है। वर्तमान में कन्या महाविद्यालय न होने से यहां की छात्राएं ग्वालियर या अन्य जगह पढ़ाई करने जा रही हैं। कन्या महाविद्यालय की मांग यहां लंबे समय से है लेकिन इसे पूरा करने के लिए अब तक गंभीरता से प्रयास नहीं हुए हैं।
सिविल अस्पताल में पदस्थ हों डॉक्टर
डबरा विकासखंड की आबादी करीब पौने तीन लाख है। इस आबादी के उपचार का भार सिविल अस्पताल पर है। लेकिन यहां डॉक्टरों की काफी कमी है। अस्पताल में 14 डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं लेकिन वर्तमान में 7 चिकित्सक ही होने से मरीजों को सही तरीके से इलाज नहीं मिल पा रहा है। यहां विशेषज्ञ डॉक्टर भी नहीं है जिसके चलते मरीजों को उपचार के लिए 45 किलोमीटर दूर ग्वालियर जाना पड़ रहा है। गायनिक की कमी तो यहां हमेशा महिलाओं को खलती रही है। अस्पताल में गायनिक चिकित्सक समेत अस्थि- हड्डी रोग, एनेथिसिया, सर्जन विशेषज्ञ और नेत्र चिकित्सक के साथ डाक्टरों की कमी काफी दिनों से बनी है।
केन्द्रीय विद्यालय की जमीन की बाधा हो दूर
शहरवासियों की मांग पर यहां केन्द्रीय विद्यालय तो तीन साल पहले खोल दिया गया लेकिन इसके भवन निर्माण के लिए अब तक जमीन तक नहीं मिल सकी है। जिसके चलते केन्द्रीय विद्यालय कभी यहां तो कभी वहां संचालित हो रहा है। केन्द्रीय विद्यालय खुलने के साथ ही एक साल टेकनपुर बीएसएफ में संचालित किया गया और पिछले सत्र से डबरा से छह किमी दूर मॉडल स्कूल के कुछ कक्षों में संचालित है। समस्या यह है कि केन्द्रीय विद्यालय का अपना भवन न होने से पर्याप्त जगह नहीं है और इसी कारण सुविधाएं भी मुहैया नहीं हो पा रही है। केन्द्रीय विद्यालय के नाम पर महज औपचारिता हो रही है।
अमृत सिटी योजना को वित्तीय स्वीकृति का इंतजार
दो साल पहले अमृत सिटी योजना के तहत सीवर प्रोजेक्ट और पेयजल प्रोजेक्ट दोनों प्रोजेक्ट पास होने के बावजूद भी अभी तक न सीवर लाइन पर काम शुरू हो पाया है और ना ही ग्रामीण क्षेत्रों में नल की पाइप लाइन बिछाने का काम। लोगों की प्यास बुझाने के लिए अमृत सिटी योजना में 42 करोड़ रुपए की लागत से पेयजल का प्रस्ताव पास है। दो साल से अधिक समय हो गया है बावजूद इसके आज तक काम शुरू नहीं हो पाया है। योजना के तहत पांच पानी की टंकियां और पूरे क्षेत्र में पाइप लाइन बिछाए जाने का प्रस्ताव तैयार है। इसी प्रकार सीवर प्रोजेक्ट भी अमृत सिटी योजना से स्वीकृत है। वित्तीय स्वीकृति के लिए दो साल पहले प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है लेकिन यह अब तक अटका पड़ा है।
बस स्टैंड बदहाल, प्रतीक्षालय जर्जर, पानी का भी नहीं है इंतजाम
व्यवस्थित बस स्टैंड की दरकार शहर में बस स्टैंड के नाम पर एक टूटा-फूटा छोटा सा भवन और धूलभरा मैदान है। रोजवेज खत्म होने के बाद सालों से यही स्थिति है। यहां प्रतिदिन 60 से अधिक बसों का आना जाना रहता है। करीब दो हजार के लगभग यात्री विभिन्न जगहों के लिए यात्रा करते हैं। व्यवस्थित बस स्टैंड न होने से बसें और सवारियां सडक़ पर खड़ी होती है। यहां व्यवस्थित बस स्टैंड की काफी जरूरत महसूस की जा रही है।
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