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ग्वालियर

पुराने वैभव में लौटे संगीत कक्ष, हथियार कहीं और रखे जाएं

संस्था के सदस्यों ने कहा- किताबों में भी मिलता है गूजरी महल स्थित संगीत कक्ष का इतिहास

ग्वालियरAug 03, 2021 / 11:32 am

Mahesh Gupta

पुराने वैभव में लौटे संगीत कक्ष, हथियार कहीं और रखे जाएं

पुराने वैभव में लौटे संगीत कक्ष, हथियार कहीं और रखे जाएं

ग्वालियर संगीत की नगरी है। यहां संगीत से जुड़ी कई विरासत है, जिन्हें सहेजकर रखने और प्रचार प्रसार करने की आवश्यकता है, जिससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटक, संगीत रसिक और युवा पीढ़ी जान सके। इसमें बदलाव नहीं होना चाहिए। गूजरी महल स्थित संगीत कक्ष को हथियार गैलरी बना देना बेहद शर्मनाक है। इस भूल को सुधारा जाना चाहिए। यह बात शहर की संस्थाओं के संस्थापक और अध्यक्षों ने कही। उन्होंने कहा कि गूजरी महल में संगीत कक्ष के इतिहास का उल्लेख पुरानी किताबों में भी मिलता है, जिसे बदला नहीं जा सकता।
जिम्मेदार सुधारें गलती, फिर मिले संगीत कक्ष का रूप
शहर से संगीत वैसे ही विलोपित हो रहा है। कम से कम जो संगीत से जुड़ी विरासत हैं, वो तो बची रहें। राजा मानसिंह ने रानी मृगनयनी के लिए गूजरी महल में सगीत कक्ष बनवाया था। इसे वैसे ही सुशोभित रहना चाहिए। यदि पहले कोई गलती हुई है, तो उसमें सुधार कर पुन: संगीत कक्ष का रूप मिले।
रामसेवक दास, अध्यक्ष, रागायन संस्था

पर्यटकों को मृगनयनी के संगीत प्रेम के बारे में बताएं
गूजरी महल के साथ ही संगीत कक्ष का भी ऐतिहासिक महत्व है। कक्ष में बने झरोखों से रानी मृगनयनी बैजू बावरा को सुना करती थीं। इसका उल्लेख किताबों में भी है। इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। जिम्मेदारी इस गलती को सुधारें और संगीत कक्ष की महत्ता को समझें। आने वाले पर्यटकों को हथियार नहीं मृगनयनी के संगीत प्रेम के बारे में बताएं।
स्मृति उमड़ेकर, अध्यक्ष, पंडित बालाभाऊ उमड़ेकर कुंडलगुरु संगीत समिति

संगीत कक्ष को हथियार गैलरी बनाना उचित नहीं
ग्वालियर संगीत की नगरी के नाम से जाना जाता है। संगीत कक्ष को हथियार गैलरी बनाना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। हमें ऐतिहासिक धरोहर को सहेज के रखना चाहिए, जिससे विभिन्न देशों से आए पर्यटकों के साथ-साथ भावी पीढ़ी और संगीत प्रेमियों को इससे संबंधित जानकारी मिल पाएगी। हथियार की प्रदर्शनी के लिए कोई और विकल्प ढूंढना चाहिए।
सीता पाणिग्रही, अध्यक्ष, उड़ान हौसलों की

जिम्मेदार कक्ष की महत्ता समझें, उसे वहीं रूप दें
गूजरी महल अपने अंदर बहुत सा इतिहास समेटे हुए है। वहां बना संगीत कक्ष भी इन्हीं में से एक है। पर्यटकों, संगीत रसिकों और युवाओं इस कक्ष से परिचित कराने के लिए प्रचार प्रसार होना चाहिए था, न कि उस इतिहास को ही खत्म किया जाना चाहिए। जो जिम्मेदार हैं वे इस कक्ष की महत्ता को समझें और इसे वही रूप दें, जो पहले था।
अंकित शर्मा, संस्थापक, फिर एक प्रयास

इतिहास को संजोएं, हथियार कहीं और रखे जाएं
यदि हम प्राचीनतम चीजों को नष्ट करते या उसका स्वरूप बदलते जाएंगे, तो नई पीढ़ी को क्या दे पाएंगे। वह हमारे गौरवमयी इतिहास को भला क्या समझ पाएंगे। जो हमारी विरासत है, उसे गवर्नमेंट को संजोकर रखना चाहिए। उसके प्रसार-प्रसार के लिए काम किया जाना चाहिए। किला बहुत विशाल है। हथियार कहीं और रखे जा सकते हैं।
नवनीत कौशल, अध्यक्ष, रंगभूमि ग्वालियर

पुराना वैभव मिले और संगीत से जुड़े छात्रों को जोड़ा जाए
गूजरी महल में संगीत साधना होती थी। इसका किताबों में भी उल्लेख मिलता है। इस वैभव को खत्म नहीं किया जा सकता। संगीत और हथियार दोनों एक दूसरे के अपोजिट है। यह बात जिम्मेदारों को समझनी चाहिए। संगीत का क्षेत्र वैसे भी कम हो रहा है। ये भी खत्म हो जाएगा, तो क्या बचेगा। संगीत कक्ष को पुराना वैभव मिले और संगीत से जुड़े छात्रों को यहां से जोड़ा जाए।
संध्या बापट, अध्यक्ष, स्वर श्रंृगार
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