हमारा आस पास साफ होगा तो शहर स्वच्छ होगा, स्वच्छता की शुरूआत हमें खुद के घर और उसके आसपास से करना होगी। कुछ इसी तरह के स्लोगन शहर की दीवारों पर नगर निगम द्वारा लिखवाए गए हैं। लेकिन खुद नगर निगम अधिकारी इसका कितना पालन करते हैं इसका उदाहरण है निगम मुख्यालय। जहां कमिश्नर संदीप माकिन, महापौर से लेकर सभी अधिकारियों के चैंबर हैं। यहां के हालात देखकर लगता ही नहीं है कि यह निगम का मुख्यालय है। अभी हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण में भी शहर की रैंकिंग बहुत ही खराब रही। इसकी समीक्षा में अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे।
परेशानी: गंदे पानी से लोग हो रहे बीमार , लाखों रुपयों से पानी का ट्रीटमेंट फिर भी आ रहा गंदा पीला पानी
सफाई का बड़ा अमला फिर भी दिया ठेका
शहर की सफाई की जिम्मेदारी जिस नगर निगम पर है वही नगर निगम खुद के मुख्यालय की सफाई नहीं कर सकता। आलम यह है कि निगम ने सफाई का ठेका दिया है जिस पर हर साल लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं। इसके बावजूद सफाई व्यवस्था चौपट है। परिसर तो छोडि़ए अधिकारियों के चैंबर में भी गंदगी पसरी रहती है। टॉयलेट की हालात तो और भी अधिक खराब हैं। कई बार अधिकारी नाराजगी जता चुके हैं। ऐसे में नगर निगम शहरवासियों के सामने सफाई का क्या रोल मॉडल पेश करेगी यह तो समझ से परे है। अधिकारी भी सफाई का ठेका दिए जाने का अजीब ही तर्क दे रहे हैं और कह रहे हैं कि निगम मुख्यालय की सफाई का ठेका अन्य सफाई से अलग है। यह मॉल की तरह सफाई करने के लिए ठेका दिया गया है। लेकिन यहां सफाई के नाम पर खानापूर्ति ही की जा रही है।
कार्रवाई की जाएगी
मुख्यालय में सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए केयर टेकर महेन्द्र अग्रवाल को निर्देश देंगे। साथ ही अगर संंबंधित ठेकेदार द्वारा सही ढंग से सफाई नहीं की गई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
संदीप माकिन, कमिश्नर, नगर निगम