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ग्वालियर

डॉ. भल्ला का “सहारा अस्पताल” हुआ बेसहारा, निगम ने किया जमींदोज, जाने पूरा मामला

nagar nigam gwalior removing encroachment of sahara hospital : निगम की टीम अधूरी तैयारी के साथ गई, टीन शेड काटते समय सिलेंडर खत्म हो गया। बाद में दूसरा सिलेंडर मंगाकर शेड काटा गया।

ग्वालियरDec 10, 2019 / 11:11 am

Gaurav Sen

nagar nigam gwalior removing encroachment of sahara hospital

nagar nigam gwalior removing encroachment of sahara hospital

ग्वालियर. कोर्ट से स्टे निरस्त होते ही तुरंत सक्रिय हुए प्रशासन और नगर निगम अधिकारी सोमवार शाम 5.15 बजे मदाखलत अमले और पुलिस फोर्स के साथ फिर तोडफ़ोड़ करने पहुंच गए। कार्रवाई के दौरान अस्पताल की महिला कर्मचारियों ने विरोध करने की कोशिश की और प्रशासन पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई करने के आरोप लगाए। पुलिस ने उन्हें हटाया। कार्रवाई रात 9.30 बजे तक चली। वरिष्ठ अधिकारियों ने मदाखलत सहित अन्य अधिकारियों को तुरंत क्षेत्रीय कार्यालय पर पहुंचने के निर्देश दिए गए। करीब 5 बजे सभी क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे, जहां से बसंत विहार स्थित सहारा अस्पताल गए।

परिहार ने बताया कहां तोडऩा है
निगम अधिकारी पहले सहारा अस्पताल के पास स्थित बृजमोहन सिंह परिहार के घर पहुंचे, फिर उनके साथ अस्पताल का निरीक्षण किया। सूत्रों के अनुसार परिहार ने अधिकारियों को बताया कि किस तरह कहां तोडफ़ोड़ करना है। इसके बाद ही निगम अमले ने कार्रवाई शुरू की।

किराए पर दी थी जमीन
सहारा अस्पताल की जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। बृजमोहन सिंह परिहार के अनुसार वह जमीन उनकी है और उन्होंने डॉ.एएस भल्ला को किराए पर दी थी।

दीवार में निकले पेड़
सहारा अस्पताल में जब निर्माण हटाया गया तो दीवारों में पेड़ मिले। दरअसल, पार्क के पेड़ों को भवन के अंदर ही कवर्ड करवा लिया गया था।

गैस सिलेंडर खत्म
निगम की टीम अधूरी तैयारी के साथ गई, टीन शेड काटते समय सिलेंडर खत्म हो गया। बाद में दूसरा सिलेंडर मंगाकर शेड काटा गया।
यह रहे मौजूद : कार्रवाई के दौरान अपर कलेक्टर टीएन सिंह, एसडीएम अनिल बनवारिया, महेन्द्र पाराशर, महेन्द्र शर्मा, वीरेन्द्र शाक्य आदि मौजूद रहे।

 

सोमवार को हुई सुनवाई… कोर्ट ने माना अवैध रूप से बनाया था अस्पताल
ग्वालियर. सहारा अस्पताल के संचालक डॉ.एएस भल्ला को मिला स्थगन आदेश सोमवार को निरस्त करते हुए अदालत ने कहा कि जांच रिपोर्ट से स्पष्ट है कि बसंत विहार रिहाइशी कॉलोनी है, डॉ.भल्ला ने यहां अवैधानिक रूप से निर्माण किया है। व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 सुनील अहिरवार ने आदेश में कहा कि डॉ. भल्ला ने आवेदन में स्पष्ट किया है कि जहां सहारा अस्पताल संचालित हो रहा है, वह उस भवन के किराएदार हैं, लेकिन उनके द्वारा कोई भी दस्तावेज पेश नहीं किया गया। किसकी अनुमति से इस भवन में अस्पताल संचालित किया जा रहा है, यह भी स्पष्ट नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में डॉ.भल्ला यहां अतिक्रमणकारी के रूप में दर्शित होते हैं। लिहाजा उनका आवेदन अस्वीकार किया जाता है। इस मामले में शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता विजय शर्मा एवं अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता घनश्याम मंगल ने शासन का पक्ष रखा। निगम की ओर से एडवोकेट संजय सिंह कुशवाह ने पैरवी की।

 

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पार्क पर निर्माण कर दे दिया किराए पर
शासन ने जांच रिपोर्ट के साथ कॉलोनी का ले आउट व अन्य दस्तावेज पेश किए, जिनमें कहा गया कि पार्क की जमीन पर किए गए निर्माण को हटाने के लिए शासन स्वतंत्र है। सुनवाई के दौरान डॉ.भल्ला का बृजमोहन सिंह परिहार का किराएदार होने के संबंध में कोई खंडन नहीं किया गया। डॉ.भल्ला ने न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर कहा था कि वे भाड़ेदारी की हैसियत से अस्पताल का संचालन कर रहे हैं, जिसे प्रशासन तोडऩे का प्रयास कर रहा है। उनके द्वारा कोई निर्माण नहीं किया गया है, जो किराए पर लिया है, उसी में अस्पताल संचालित है।

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निगम ने कहा-पार्क को किया खुर्द-बुर्द
निगम ने अदालत में जवाब प्रस्तुत कर कहा कि सहारा हॉस्पिटल वाला भवन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के ले आउट के अनुसार पार्क की जमीन पर बना है। इस जमीन को बृजमोहन सिंह परिहार एवं रश्मि परिहार ने डॉ.भल्ला के साथ मिलकर खुर्द-बुर्द किया है। आवेदक ने बिना अनुमति के यहां अस्पताल का निर्माण किया है।

 

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भाजपा ने की निंदा बदले की भावना से की गई डॉ. भल्ला के खिलाफ कार्रवाई
सहारा हॉस्पिटल के संचालक डॉ. एएस भल्ला के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई की भाजपा नेताओं ने निंदा की है। नेताओं ने कहा कि प्रशासन को इसके लिए जिम्मेदारों पर पहले कार्रवाई करना चाहिए। भाजपा जिलाध्यक्ष देवेश शर्मा, वरिष्ठ नेता वेदप्रकाश शर्मा, जयसिंह कुशवाह, अभय चौधरी, राकेश जादौन, महामंत्रीगण कमल माखीजानी, शरद गौतम, महेश उमरैया ने कहा कि जिला प्रशासन जिस प्रकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रहा है यह घोर आपत्तिजनक है। एक ही अस्पताल और उनसे जुड़ी अन्य संपत्तियों को निशाने पर लेकर की गई कार्रवाई प्रशासन की पारदर्शिता और इरादों पर प्रश्नचिह्न लगा रही है। मुख्यमंत्री सचिवालय से कार्रवाई की मॉनिटरिंग यह साबित करती है कि इसके पीछे बड़े हाथ हैं, जिन कारणों को सामने रखकर यह सब किया जा रहा है उन कारणों की जद में तो आधा शहर आता है। कांग्रेस की सुप्रीमो की पूर्व निज सचिव बदले की भावना से मुख्यमंत्री और प्रशासन पर दबाव बनाकर जिस प्रकार एकतरफा बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करवा रही हैं इससे कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली कठघरे में है।

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