सीएसपी देवेन्द्र सिंह कुशवाह ने बताया मोहन पुत्र हरिबाबू शाक्यवार निवासी मुंशियों का मोहल्ला, माधौगंज की रविवार को गलाकाट कर हत्या हुई थी। उसका शव दोपहर करीब 3 बजे कमरे में लावारिस पड़ा मिला था। पूरे मोहल्ले में मोहन की शोहरत शराबी की थी। लोगों ने उसके घर में किसी को घुसते नहीं देखा था। पड़ोसियों ने क्लू जरूर दिया था कि मोहन की बड़े भाई विजय के परिवार से टसल है। विजय के बड़े बेटे आकाश को रविवार दोपहर को हड़बड़ी में भागते भी देखा है। मोहल्ले वालों का कहना था कि विजय और मोहन में हिस्से बांट को लेकर झगड़ा है। इस मसले पर विजय ने कुछ दिन पहले मोहन को कमरे में बंद कर पीटा था। सुराग पर पुलिस ने विजय के साथ आकाश को भी उठा लिया। शुरूआत में आकाश यह मानने को तैयार नहीं था कि चाचा का गला उसने ही रेता है। लेकिन दो दिन तक इंट्रोगेशन में उसने राज खोल दिया।
सेठ को बताया जुर्म हो गया
आकाश के मुताबिक चाचा की हत्या करने के बाद घबरा गया था। डर था कि घर पर रहेगा तो पुलिस पकड़ सकती है, इसलिए वापस काम पर पहुंच गया। उसे घबराया देखकर सेठ ने पूछा तो उसे सिर्फ इतना बताया कि उससे बड़ा गुनाह हो गया है। आरोपी कह रहा है कि मोहन की हरकतों से तंग होकर कई बार पुलिस से शिकायत भी की थी। हत्या से कुछ दिन पहले मोहन ने घर में हंगामा किया था। पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की।
बोला तंग हो चुका था इसलिए चाचा का गला रेता
चाचा मोहन शराबी था, दादी मुन्नी बाई उसके पास रहती थीं। कुछ दिन पहले उनका निधन हुआ तो दादी का सारा जेवर मोहन दबा गया। उसने पुश्तैनी मकान का बड़ा हिस्सा भी घेर लिया था। इसमें बुआ गीता और उसके पति ओमप्रकाश को भी रहने को जगह दे दी। उसे कई बार समझाया कि पुश्तैनी मकान में हमारा भी हिस्सा है बेइमानी मत करो, लेकिन मोहन सुनने को तैयार नहीं था। उसने पत्नी मालती और बेटे को भी भगा दिया था। अकेला घर में रहता था, नशेडिय़ों की जमात लगाता। हमारा परिवार छत पर दो कमरों में रहने को मजबूर था। छत पर आने के दो रास्ते थे। मेनगेट के अलावा मोहन के कमरे से भी छत तक सीढिय़ां थीं। अंदर से सीढिय़ों के रास्ते पर दरवाजा लगा है। उसकी कुंदी मोहन अंदर से बंद रखता था। रविवार दोपहर को काम पर से खाना खाने घर आया था तो कुंदी बाहर से लगी दिखी उसे सरकाया तो दरवाजा खुल गया तो मोहन को निपटाने का मौका मिल गया। क्योंकि अंदर के रास्ते से उसके कमरे तक जाने पर कोई देख नहीं सकता था। सीढिय़ों से मोहन के कमरे में जाकर उसका गला काट दिया। (जैसा हत्यारोपी आकाश ने पुलिस हिरासत में बताया)
सो रहा था चाचा, बाल पकडकऱ गर्दन काटी
हत्यारोपी आकाश ने खुलासा किया चाचा मोहन शराब पीकर सो रहा था, उसके कमरे में सब्जी काटने वाला चाकू रखा था। उसे उठाकर सीढिय़ों के पत्थर से घिसकर पैना किया। नशे में होने की वजह से मोहन को आभास नहीं हुआ कि कमरे में कोई है, वह बेखबर पलंग पर पड़ा था। चाकू पर धार लगाकर चाचा को जगाया, वह उठा तो एक हाथ से उसके सिर के बाल पकड़े और दूसरे हाथ से चाकू से उसका गला काट दिया। कुछ देर वहा खड़े होकर उसकी जान निकलने का इंतजार किया। जब भरोसा हो गया कि चाचा की मौत हो गई है तो वापस अंदर की सीढिय़ों से ऊपर आकर हाथ पैर धोए फिर वापस समाधिया कॉलोनी में सिलाई के काम पर चला गया।