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ग्वालियर

लेखन की कोई उम्र नहीं, विचारों को दें स्पेस

सिंधिया स्कूल फोर्ट में आयोजित ‘लिटरेरी फेस्ट’ का समापन सोमवार को किया गया। अंतिम दिन केविन मिस्साल और आदित्य शर्मा ने अपनी पुस्तकों पर चर्चा की।

ग्वालियरNov 19, 2019 / 12:02 am

Harish kushwah

लेखन की कोई उम्र नहीं, विचारों को दें स्पेस

लेखन की कोई उम्र नहीं, विचारों को दें स्पेस

ग्वालियर. सिंधिया स्कूल फोर्ट में आयोजित ‘लिटरेरी फेस्ट’ का समापन सोमवार को किया गया। अंतिम दिन केविन मिस्साल और आदित्य शर्मा ने अपनी पुस्तकों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि लिखने की कोई उम्र नहीं होती। यदि आपके पास विचार हैं, तो उन्हें अपनी कॉपी में स्पेस दीजिए। जज्बा आपको अपने अंदर पैदा करना होगा। इस दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स द्वारा पूछे गए कई सवालों के जवाब भी दिए।
12 साल की उम्र में मैंने लिखी बुक

लेखक केविन मिस्सला ने अपनी पुस्तक ‘नरसिम्हा’ पर अपने विचार दिए। उन्होंने बताया कि मैंने 12 वर्ष की उम्र में लिखने की शुरुआत की और 14 साल की उम्र में इसे पूरा कर लिया। मुझे बचपन से ही लिखने का शौक था, जिसे मैंने पैशन बनाया और आज कई पुस्तकें लिखकर भी और अच्छा लिखने के लिए प्रयासरत हूं।
35 बार प्रकाशकों ने लौटाई पुस्तक

आदित्य शर्मा ने ‘द चैम्प्स ऑफ देवगढ़’ उपन्यास के बारे में बताया कि मेरे द्वारा यथार्थ पर आधारित इस उपन्यास को पहले किसी ने पसंद नहीं किया। प्रकाशकों ने 35 बार इसे वापस लौटा दिया। परंतु जब यह पुस्तक छपी तो बहुत बिकी। प्रकाशक अब इसके अगले भाग के इंतजार में हैं।

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