24 मई को नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री के देश का दौरा करने के बाद भारत सरकार ने बॉयो फिल्ट्रेशन प्लांट के लिए रजामंदी दी है। इसके बाद नीदरलैंड्स के प्रतिनिधि ने ग्वालियर से पहले बरेली, आगरा और करनाल का भ्रमण करके प्लांट लगाने की स्थितियों का अध्ययन किया है। इसके बाद अब ग्वालियर में आए हैं।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बॉयोफिल्ट्रेशन पद्धति पर काम करेगा। पानी साफ करने कांक्रीट का टैंक बनाया जाएगा।
पानी साफ करने वाले प्लांट के टैंक में एक इनपुट और आउटपुट डोर होंगे।
इनपुट डोर से गंदा पानी आएगा और आउटपुट डोर से पानी बाहर निकलेगा।
पानी साफ करने कांक्रीट टैंक में मिट्टी भरी जाएगी, जो पानी की सतह तक होगी।
पौधे लगाए जाएंगे, जिनकी जड़ें सतह तक पहुंचेंगी और पानी से गंदगी को सोखेंगीं।
प्लांट की जड़ों के जरिए ट्रीटमेंट
यह होगा फायदा
सीवर चैनल के माध्यम से जो गंदा पानी आ रहा है, वह अभी सीधे जलालपुर निकल जाता है। प्लांट के जरिए इसको फूलबाग पर ही साफ करके नदी में भर सकेंगे। इससे फूलबाग जोन के एक किलोमीटर दूरी तक नदी में साफ पानी रहेगा। इसमें बोटिंग भी की जा सकेगी।
डैनियल का दावा है कि बॉयोफिल्ट्रेशन प्लांट के जरिए साफ किए गए सीवर के पानी को सिंचाई, दैनिक उपयोग में लिया जा सकता है। प्लांट से साफ किए पानी की गुणवत्ता पीने के पानी जैसी ही होगी।
इस पानी को ग्राउंड वाटर रीचार्जिंग के लिए काम में लिया जा सकता है।
सीवर चैनल के जरिए आने वाले पानी को साफ करके स्वर्णरेखा नदी में भरा जा सकता है।