नामांतरण के ऑनलाइन फीडिंग पंजी और वापिसी के नाम पर सर्विस प्रोवाइडर (लेखा दस्तावेज तैयार करने वाले) पक्षकार से 5 हजार रुपए से लेकर 10 हजार रुपए की मांग करते है। जब पक्षकार इस संबंध में उनसे पूछता है तो उनका कहना होता है कि रजिस्ट्रार कार्यालय से यह तह हुआ है। जबकि वर्ष 2016 से तहसील में प्लॉटों के राजस्व नामांतरण का ऑनलाइन फीडिंग कार्य बंद है। लेकिन रजिस्ट्री कराने आने वाले क्रेता- विक्रेताओं को जानकारी होती नहीं है और वे दलाल एवं सर्विस प्रोवाइड के माध्यम से ठगे जाते है। यही कारण है कि ऑनलाइन रजिस्ट्री होने के बाद भी सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से रजिस्ट्रार कार्यालय में लूट खसौट जारी है। पंजी के ऑनलाइन फीडिंग कराए जाने के नाम पर के्रता विक्रेताओं को ठगा जा रहा है। दरअसल ऑनलाइन फीडिंग होने पर ही रजिस्ट्री होने का प्रावधान है।
बाहरी कर्मचारी बैठकर करते दस्तावेज तैयार
रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्रार अधिकारी सहित एक अन्य अधिकारी पदस्थ्य हैं। लेकिन निजी तौर पर गोपनीय दस्तावेज निजी लोगों से कराए जा रहे है। कार्यालय में तीन लोग ऐसे है जिनका कोई विभाग में लेखा जोखा तक नहीं है और वह कार्यालय में गोपनीय काम करते है। गुरुवार को दोपहर करीब एक बजे जब पत्रिका टीम कार्यालय पहुंची तो पंजीयक अधिकारी कार्यालय में नहीं थे और उन अधिकारियों की सीटोंं में वे कर्मचारी जो कि कार्यालय में ऑन पेपर कुछ भी नहीं है वे बैठे काम करते देखे गए। जिसमें एक युवक स्टोर रूम में गोपनीय दस्तावेज पर काम करता हुआ देखा गया जब कैमरा निकालकर उन लोगों को केद करना चाह तो वे भाग खड़े हुए।
जेल रोड पर प्लॉट की रजिस्ट्री कराने के लिए कार्यालय पहुंचा तो वहां पर सर्विस प्रोवाइडर ने ऑनलाइन पंजी कराने के नाम पर 5 हजार रुपए मांगे। जब इस संबंध प्रोवइडर से पूछा तो उसने कहा कि में यह कार्यालय में लगता है और तब ही रजिस्ट्री होती है।
राजेन्द्र विश्वकर्मा – विक्रेता
10 साल से पेङ्क्षडग क्रेता-विक्रेता और रकवा का इडेक्स- 2 का काम कराया जा रहा है। कोई गोपनीय दस्तावेज नहीं है। मेरे संज्ञान में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं है। यदि जो दस्तावेज तैयार करने वाला रुपए मांग रहा है तो उसकी संबंधित व्यक्ति शिकायत करे।
प्रशांत साहू, सहायक पंजीयक अधिकारी
नामांतरण की ऑनलाइन फीडिंग 2016 से बंद है। पंजी पर नामांतरण किया जा रहा है। रजिस्ट्रार कार्यालय में यदि प्लॉटों के नामांतरण के ऑनलाइन फीडिंग कराने के नाम पर रुपए लिए जा रहे है तो वे गलत है।
दीपक शुक्ला – तहसीलदार
आरसीएमआई सॉफ्टवेयर से कृषि भूमि के नामांतरण की ऑनलाइन फीडिंग के लिए रसीद काटी जाती है जिसका कोई शुल्क नहीं लगता है और उस रसीद को ले जाकर पक्षकार तहसील में अपनी जमीन के नामांतरण की ऑनलाइन फीडिंग कर सकता है।
देवकीनंदन दोहरे : उप पंजीयक ग्वालियर