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पुलिस की लापरवाही के कारण इस्लाम कुरैशी अदालत के चक्कर काट रहे हैं। जीआरपी ने इस्लाम कुरैशी के खिलाफ जहरखुरानी का १९८८ में दर्ज किया था। घटना ग्वालियर रेलवे स्टेशन की थी। भोपाल जाने वाली एक ट्रेन में आरोपी कासिम खां और अन्य लोग बैठे थे। उसी डिब्बे में कुछ लोग बेहोश हो गए तो इसकी सूचना जीआरपी को दी गई। पुलिस ने उस डिब्बे में बैठे लोगों को पूछताछ के लिए बैठा लिया और घायलों को उपचार के लिए अस्पताल भेज दिया था। सभी के नाम-पते लिखकर इस्लाम कुरैशी को छोड़ दिया गया। बाद में मेडिकल रिपोर्ट आने पर पुलिस ने जहरखुरानी का मामला दर्ज किया। इसमें इस्लाम कुरैशी को भी आरोपी बनाया गया था। इस मामले में इस्लाम कुरैशी ने झांसी का पता लिखवाया था। बाद में इस्लाम कुरैशी ग्वालियर में ही रहने लगे थे। इस्लाम कुरैशी को जारी होने वाले वारंट तामील नहीं होने पर अदालत ने उनके खिलाफ स्थायी वारंट जारी किया।
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पुलिस ने 28 साल बाद इस्लाम कुरैशी को ३१ दिसंबर १५ को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद इस्लाम को १ जनवरी १६ को कोर्ट में पेश किया गया। यहां से इस्लाम को जमानत तो मिल गई लेकिन इस मामले के दस्तावेज अब तक पुलिस नहीं पेश कर पाई है।
अब तक पेश नहीं हो सका चालान
इस मामले में रेलवे पुलिस अभी तक चालान पेश नहीं कर पाई है। वहीं आरोपी इस्लाम का कहना है कि थाना प्रभारी ने दीवान को उन्हें छोडऩे के लिए बोला था, जबकि दीवान ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। इस्लाम खान का कहना है कि वे तो भोपाल जा रहे थे। यात्रियों को लूटने वाले तो रफूचक्कर हो गए थे, जब कोई नहीं मिला तो पुलिस ने उनका नाम जबरन रिपोर्ट में लिख दिया।
अगर मैं दोषी हूं तो सजा मिले
मेरे ऊपर मुकदमे का बोझ है। अगर मैं दोषी हूं तो अदालत मुझे सजा दे दे। मेरा लगातार रिकार्ड तलब किया गया, लेकिन इस मामले के अलावा कोई प्रकरण मेरे खिलाफ नहीं मिला है।
इस्लाम खान
पुलिस पेश करे रिकॉर्ड
प्रकरण की लंबित अवधि और आरोपी की उम्र देखते हुए मामले में पुलिस को जल्द रिकार्ड पेश करना चाहिए जबकि आरोपी की ओर से हाजिरी में कोई चूक नहीं हुई है।
एचके अफगानी, एडवोकेट
तलाश रहे रिकॉर्ड
मामला काफी पुराना है और रिकार्ड को ढूंढा जा रहा है।
पीएस परिहार, थाना प्रभारी जीआरपी