इस पर समय-समय पर नगर निगम आयुक्त और नगरीय प्रशासन मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, महापौर बैठकों के जरिए नाराजगी जाहिर करते रहे, लेकिन उन ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि यह ठेकेदार निगम अफसरों के चहेते हैं।
टला महापौर का निरीक्षण
महापौर विवेक शेजवलकर ने अपने घरों के सामने की सडक़ सही नहीं करवा पाए मंत्री, पत्रिका में प्रकाशित खबर को गंभीरता से लेकर उन सडक़ों का निरीक्षण करने का कार्यक्रम बनाया, लेकिन ऐन वक्त पर चुनाव आचार संहिता लगने से यह भ्रमण कार्यक्रम टल गया। हां इतना जरूर है कि महापौर के भ्रमण कार्यक्रम की जानकारी मिलते ही आनन-फानन में जनकार्य विभाग के कुछ इंजीनियर सक्रिय हुए, जिन्होंने शहर की कुछ सडक़ों के गड्ढे भरवाने के लिए पेंच रिपेयरिंग का काम कराया।
वार्ड 18 के डीडी नगर डीएम सेक्टर में, बीएसएफ कॉलोनी, सेक्टर-ई में विभिन्न गलियों में डामरीकरण, लागत लगभग 80 लाख।-वार्ड 20-रणधीर कॉलोनी में शुक्ला किराना से डामरीकरण
-9.72 लाख।-वार्ड 21 में पंचशील नगर पार्क में समता माग गली नं. 1, सी एन कांवेट स्कूल से पीतांबरा स्टेट तक डब्ल्यू बीएम रोड, नाली डामरीकरण आदि सडक़ें लगभग सवा चार करोड़ रुपए की लागत।
-वार्ड 22 में मयूर नगर में नाला से जादौन के मकान तक डामरीकरण, आकाशवाणी से मृगनयनी तक डामरीकरण लगभग 75 लाख रुपए की लागत से।
-वार्ड 24 में थाटीपुर में चम्बल कॉलोनी में डामरीकरण, गांधी रोड प्रमिला प्लाजा से घुरैया के मकान से भूपेन्द्र के मकान तक लगभग बीस लाख रुपए की।
-वार्ड 26 के सुदामापुरी में डामरीकरण, नगर निगम कॉलोनी में डामरीकरण, रिसाला बाजार बजाज खाना घासमंडी में डामरीकरण लगभग 53 लाख की लागत।
-वार्ड 27 में लगभग 25 लाख रुपए की, वार्ड 29 में लगभग 39 लाख रुपए की, वार्ड 58 में लगभग 34 करोड़ रुपए की सडक़ें पानी में बह गईं।
वार्ड 25-7 नंबर चौराहा से जिला अस्पताल तक
वार्ड 22-आकाश वाणी से मृगनयनी गार्डन तक
वार्ड 22-सुरेश नगर से ओमनगर तकवार्ड 57-रोशनीघर रोड
वार्ड 58-खूबी की बजरिया पुराने हाईकोर्ट के सामने
वार्ड 59-केदारपुर कोठी गांव से छोटी मढ़ैया तक
वार्ड 59-विक्की फैक्ट्री से पिपरोली तक
वार्ड 29-न्यू कलेक्ट्रेट रोड मेट्रो टॉवर से नई फोरलेन तक
निगम के सूत्र बताते हैं कि निगम में कई इंजीनियर और सत्ता व विपक्ष के कुछ दबंग पार्षदों के नजदीकी रिश्तेदार यहां खुलकर ठेकेदारी कर रहे हैं। जिनका उस ठेके में 20 से पचास प्रतिशत तक हिस्सा भी शामिल रहता है। जिसकी समय-समय पर शिकायतें भी होती रही हैं।
धर्मेन्द्र राणा, प्रभारी लोक निर्माण विभाग