दरअसल, डबरा और भितरवार क्षेत्र में लेट रोपी गई धान की फसल कुछ दिन पहले तक काटने का सिलसिला जारी रहा था। इसके बाद किसानों ने पराली का निस्तारण अपने तरीके से करके अब गेहूं की तैयारी शुरू की है। इसके लिए सबसे पहले खेतों को सूखो जोतकर अब पलेवा के लिए पानी दिया जा रहा है। जबकि गेहूं के लिए पहले से ही खाली छोड़े गए खेतों में भी पलेवा किया जा रहा है। बिजली की कमी से पलेवा में देर हो रही है। इसकी वजह से जो बोवनी पहले से छह से दस दिन तक लेट होने की संभावना थी वह अब पंद्रह से बीस दिन तक लेट होगी। भितरवार, डबरा और चीनोर क्षेत्र के 45 गांवों के किसान बोङ्क्षरग के विकल्प का उपयोग करने के साथ ही हरसी के पानी का इंतजार कर रहे हैं।
इसलिए जरूरी है पानी
बीते वर्ष बाढ़ की वजह से धान की फसल बहने के बाद दोबारा रोपी गई थी। इसकी वजह से लगभग 15 दिन देर से कटाई हुई है। इस वर्ष भी पकी धान में गर्दन तोड़ और तना छेदक रोग लगने के बाद धान की फसल पर विपरीत असर पड़ा है। कटाई के बाद अब किसान बगैर पलेवा के गेहूं की बोवनी न करने का मना बना चुके हैं। इसके लिए नहरों का पानी बेहद जरूरी है।
बिजली कंपनी द्वारा कृषि के लिए निर्बाध सप्लाई नहीं की जा रही है। अधिकारी बैठकों में तो लगातार सप्लाई करने और कटौती न करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में सप्लाई के बीच अघोषित कटौती की जा रही है। इससे किसानों में आक्रोश पनप रहा है।
इनका कहना है
खरीफ की फसलों की बोवनी से पहले पलेवा आदि करने के लिए हरसी की नहरों से सिलसिलेवार तरीके से पानी छोड़ा जा रहा है। कुछ नहरों में पानी छोड़ा जा चुका है, बाकी नहरों में पानी छोडऩे के लिए ङ्क्षसचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही टेल पोर्शन तक पलेवा के लिए पानी पहुंचेगा।
कौशलेन्द्र विक्रम ङ्क्षसह, कलेक्टर ं