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ग्वालियर

राज्य शासन सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक के लिए तत्काल कदम उठाए

-उच्च न्यायालय ने दिए आदेश, कहा प्लास्टिक बन गया है राष्ट्रीय समस्या
-स्कूल और कॉलेज भी प्लास्टिक व पॉलीथिन पर पूर्ण रोक लगाएं
-शासन पॉलीथिन का उत्पादन न हो इसके लिए उद्योगों को दे निर्देश

ग्वालियरFeb 27, 2020 / 10:51 pm

Rajendra Talegaonkar

राज्य शासन  सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक के लिए तत्काल कदम उठाए

राज्य शासन सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक के लिए तत्काल कदम उठाए

ग्वालियर। उच्च न्यायालय ने प्लास्टिक को राष्ट्रीय समस्या बताते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के लिए तत्काल कदम उठाए। न्यायालय ने स्कूल-कॉलेजों मे भी प्लास्टिक का उपयोग तत्काल बंद किए जाने के लिए शासन को निर्देश देने को कहा है।
उच्च न्यायालय ने यह आदेश प्रदेश में प्रतिबंध के बाद भी पोलीथिन के उपयोग, निर्माण एवं विक्रय होने पर कार्रवाई के निर्देश दिए जाने के लिए प्रस्तुत जनहित याचिका का निराकरण करते हुए दिए हैं। उच्च न्यायालय ने राज्य शासन को निर्देश दिए हैं कि प्लास्टिक के विकल्प के रुप में कपड़े या अन्य जैव अपघटनीय सामग्री से बने बैग के निर्माण एवं उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए अत्यधिक सबसीडी प्रदान की जाए। जिससे कि इसका उपयोग बढ़ सकेगा। इससे इनकी कीमत कम होगी और इसका उपयोग भी बढेगा। यह सामान्य जन की परिधि में भी होगा। इस मामले में शासन की ओर से शासकीय अधिवक्ता एफए शाह, निगम की ओर से दीपक खोत तथा याचिकाकर्ता की ओर से अवधेश सिंह भदौरिया एवं आदित्य प्रताप सिंह राजावत ने पैरवी की।
यह भी दिए निर्देश

-राज्य शासन शहरों में वाटर डिस्पेंसर स्थापित करे, जिससे आम जन को पीने के लिए शुद्ध पानी मिल सकेगा।

-प्रदेश में प्लास्टिक के बैग के स्थान पर वैकल्पिक बैग आदि के निर्माण के लिए लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए।
-राज्य शासन सिंगल यूज प्लास्टिक बोटल को नष्ट करने के लिए शहर में लोक स्थानों पर क्रशिंग मशीन स्थापित करे। जिससे कि इस प्रकार की अधिकतम बोटलों को नष्ट किया जा सकेगा।

-राज्य शासन विभिन्न स्थानों पर रिसाइक्लिंग प्लांट्स भी स्थापित करे।
-प्लास्टिक के कचरे को थर्मल इलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट को भेजे जाने की व्यवस्था भी करे जिससे कि इस कचरे का वहां उपयोग हो सकेगा।

प्रत्येक तीन माह देना होगी प्रतिपालन रिपोर्ट

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि इस मामले में प्रत्येक तीन माह में शासन व उसकी इकाईयों को प्रतिपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगी। यह रिपेार्ट कलेक्टर के माध्यम से प्रस्तुत की जाएगी। यह रिपोर्ट प्रिंसिपल रजिस्ट्रार के समक्ष प्रस्तुत करना होगी। न्यायालय ने कहा कि यह आदेश व्यापक लोकहित में इस उम्मीद के साथ दिया जा रहा है कि संबंधित अधिकारी इस आदेश का पूर्ण इमानदारी के साथ पालन कराएंगे। यदि इस मामले में दिए गए दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है तो प्रिंसिपल रजिस्ट्रार इस मामले को फिर सुनवाई के लिए प्रस्तुत करेंगे।
यह दिए हैं सुझाव

-नागरिकों को प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्परिणामों से अवगत कराने के लिए अभियान चलाया जाए।

-प्लास्टिक के उपयोग पर तत्काल रोक लगाए जाने के लिए राज्य शासन अभियान चलाए।
-नागरिकों को सिंगल यूज प्लास्टिक तथा पॉलीथिन की थैलियां नहीं खरीदनी चाहिए।

-नागरिक बाजार से सामान लाने के लिए कपड़े और जूट से बने बेग का उपयोग करें।

-लोग स्वयं भी अपने लिए पेपर या कपड़े के बैग तैयार कर सकते हैं।
-न्यायालय ने लोगों से कहा है कि वे धरती को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने के लिए प्लास्टिक से बनी वस्तुएं न तो खरीदें और न ही उसका उपयोग करें।

-माता-पिता और शिक्षक बच्चों को पढ़ाएं की स्कूलों में, पार्क में प्लास्टिक के टिफिन, प्लास्टिक की बोटल का उपयोग न करें। इसके दुष्परिणाम भी उन्हें बताएं।
-प्रत्येक नागरिक प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के लिए सरकार का सहयोग करे।

मीडिया पर भी डाली जिम्मेदारी

उच्च न्यायालय ने प्रिंट और इजेक्ट्रोनिक मीडिया से अपेक्षा की है कि वह लोगों में पॉलीथिन प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैलाएं। प्रिंट मीडिया समाज में पॉलीथिन को लेकर एेसा वातावरण बनाएं कि समाज और देश इस प्रदूषण से मुक्त हो। इसके लिए इससे संबंधित जानकारी का निरंतर प्रकाशन कर लोगों को इसके खतरनाक परिणामों की जानकारी भी दी जाए। पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाएउच्च न्यायालय ने यह भी सुझाव दिया है कि बच्चक प्लास्टिक के प्रतिकूल प्रभाव को जाने इसके लिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। वहीं कचरा प्रबंधन का पाठ भी बच्चों को पढ़ाया जाए। इसलिए लगाई थी याचिकाराज्य शासन द्वारा २४ मई १७ को पॉलीथिन पर रोक लगाए जाने के लिए नोटिफिकेशन जारी होने के बाद भी इसका पालन नहीं होने पर प्रस्तुत की गई थी याचिका। याचिका में कहा गया कि पॉलीथिन के उपयोग से एक ओर गंदगी बढ रही है वहीं इससे बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। सीवर जाम हो रहे हैं, जानवर पॉलीथिन खाकर मर रहे हैं। —

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