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ग्वालियर

हवलदार ने बेटे की लगुन में किया ऐसा काम,हर तरफ हो रही है चर्चा,लोग ले रहे हैं शपथ

हवलदार ने बेटे की लगुन में किया ऐसा काम,हर तरफ हो रही है चर्चा,लोग ले रहे हैं शपथ

ग्वालियरJan 18, 2019 / 03:20 pm

monu sahu

son marriage

हवलदार ने बेटे की शादी में किया ऐसा काम,हर तरफ हो रही है चर्चा,लोग ले रहे हैं शपथ

ग्वालियर। शराबबंदी के बाद दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए संत हरिगिरी की ओर से छेड़ी गई मुहिम रंग ला रही है। किशनपुरा गोरमी निवासी पुलिस के प्रधान आरक्षक ने बेटे की लगुन में सामान सहित करीब दो लाख की नकदी लौटाकर मिसाल पेश की है। इतना ही नहीं प्रधान आरक्षक ने पूरी शादी सिर्फ एक रुपए मेंं करने की समाज के सैकड़ों लोगों के सामने संकल्प लिया है।
किशनपुरा हॉल जवाहर कॉलोनी मेहगांव निवासी पुलिस में प्रधान आरक्षक वीरेंद्र सिंह गुर्जर ने अपने सबसे छोटे बेटे अनिल सिंह गुर्जर की शादी रंचौली मुरैना निवासी करतार सिंह पटेल की बेटी रूबी गुर्जर के साथ तय की थी। बुधवार की रात को करतारसिंह अपने सगे संबंधियों के साथ लगुन लेकर आए थे। जैसे ही लगुन चढ़ाने का कार्यक्रम शुरू हुआ वैसे ही वीरेंद्र सिंह की नजर थाल में रखी नकदी और सोने के जेवरातों पर पड़ गई। उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए जेवरात और नकदी वापस लेने को कहा।
पहले तो वधु पक्ष यह समझ ही नहीं पाया कि माजरा क्या है। कई तो वर पक्ष को नाराज मानकर मनुहार करने लगे,लेेकिन प्रधान आरक्षक ने जब अपना पक्ष रखा तो वधु पक्ष ने राहत की सांस ली। वीरेंद्र ने लगुन में सिर्फ एक रुपया स्वीकार किया इतना ही नहीं पूरी शादी भी बिना दहेज के करने का संकल्प रखा।
वीरेंद्र की इस पहल को नाते रिश्तेदारों ने ही नहीं,बल्कि अन्य लोगों ने भी खूब सराहा। वीरेंद्र के तीन बेटे हैं। दो बड़े बेटे सेना और नैवी में हैं। तीसरा स्नातक करने के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। इस अवसर पर अन्य लोगों ने भी अपने बेटों की शादी बिना दहेज के करने का संकल्प लिया।
संत हरिगिरी से प्रेरित है पूरा परिवार
प्रधान आरक्षक वीरेंद्रसिंह का पूरा परिवार संत हरिगिरी की ओर से चलाए जा रहे समाज सुधार अभियान से प्रेरित हैं। संत के प्रयासों से करीब एक साल पहले शराबबंदी के लिए सफल प्रयास किए गए थे।
इसके बाद उन्होंने दहेज को लेकर जो मुहिम शुरू की है उसके लिए भी बड़ी संख्या में लोग प्रेरित हो रहे हैं। मुहिम से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान को भी सफलता मिली है। गुर्जर समाज में पहले कन्या को कोख में ही मारने की कुप्रथा थी जो अब लगभग खत्म हो गई है।
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